पंचायत प्रेरकों ने किया साक्षरता सप्ताह का बहिष्कार
विकासखंड के सभी प्रेरकों ने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता सप्ताह का बहिष्कार करते हुए 9 सितंबर से धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया था जो आज अनुविभागीय अधिकारी को अपनी मांगों का ज्ञापन देते हुए समाप्त किया गया
खरसिया। विकासखंड के सभी प्रेरकों ने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता सप्ताह का बहिष्कार करते हुए 9 सितंबर से धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया था जो आज अनुविभागीय अधिकारी को अपनी मांगों का ज्ञापन देते हुए समाप्त किया गया। प्रेरकसंघ का कहना है यदि हमारी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो पुन: अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया जाएगा।
पंचायत कल्याण संघ महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष सुभिता गबेल ने कहा कि साक्षरता कक्षाओं का नियमित संचालन एवं प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत एक-एक व्यक्ति का खाता बैंक में खुलवाने की जिम्मेदारियों के अतिरिक्त अनेकों जिम्मेदारी हमने पूरी लगन से पूर्ण की है, बावजूद शासन द्वारा सितंबर माह से प्रेरक का पद ही समाप्त किया जा रहा है। ऐसे में वर्षों से इसी पद पर कार्य करने वाले सभी प्रेरकों के सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। शासन का यह निर्णय पूर्णतया अनुचित है।
अत: हमने अपनी उचित मांगों को अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का प्रयास किया है। वहीं सत्येंद्र जायसवाल ने कहा कि साक्षर भारत कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक गांव में दो प्रेरक, शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। जिन्हें शिक्षाकर्मी की समानता प्रदान करते हुए उनका मानदेय बढ़ाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मात्र दो हजार रुपये जो वर्तमान में दिए जा रहे हैं वह काफी कम हैं। इस मानदेय को बढ़ाकर पंद्रह हजार करने बाबत प्रधानमंत्री जी से अपील की गई है। विगत 1 सप्ताह से जारी इस धरने में विकासखंड के सभी प्रेरक उपस्थित रहे।


