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पंचायत चुनाव : नयी शर्तों पर सरकार से जवाब तलब

उत्तराखंड पंचायती राज्य अधिनियम में किये गये संशोधनों के मामले की सुनवाई करते हुए आज उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से प्रतिशपथ पत्र पेश करने को कहा

पंचायत चुनाव : नयी शर्तों पर सरकार से जवाब तलब
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नैनीताल । उत्तराखंड पंचायती राज्य अधिनियम में किये गये संशोधनों के मामले की सुनवाई करते हुए आज उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से प्रतिशपथ पत्र पेश करने को कहा। अदालत ने सरकार को जनहित याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर 21 अगस्त तक विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है।

इस मामले को राज्य के निवर्तमान ग्राम प्रधानों की ओर से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से आज अदालत में शपथपत्र पेश किया गया। अधिकांश याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया वे सहकारी संस्थाओं के सदस्य हैं और पंचायती राज चुनावों में भाग लेने को इच्छुक हैं। इसके बाद अदालत ने पूरे प्रकरण में सरकार से प्रतिशपथ पत्र पेश करने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है। अदालत ने सुनवाई के बाद याचिकाओं में उठाये गये बिन्दुओं पर सरकार से प्रतिशपथ पत्र पेश करने को कहा है।

ग्राम प्रधान संघ के महासचिव मनोहर लाल आर्य और जोध सिंह बिष्ट की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 25 जुलाई को पंचायती राज एक्ट, 2016 में संशोधन कर राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिये तमाम शर्तें थोप दी हैं। नये नियम के अनुसार दो से अधिक बच्चे वालों को ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। सरकार ने इसके लिये कोई समय सीमा तय नहीं की है। सरकार का यह कदम असंवैधानिक है।
याचिका में यह भी कहा गया कि अन्य राज्यों में इस प्रावधान को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके अलावा सरकार ने ग्राम प्रधानों के लिये शैक्षिक योग्यता के भी नये मानक तय कर दिये हैं।

अधिवक्ता राजीव सिंह बिष्ट ने बताया कि सरकार ने ग्राम प्रधान पद के लिये सामान्य श्रेणी के तहत हाई स्कूल जबकि अनुसूचित जाति और ओबीसी श्रेणी के तहत कक्षा आठ पास होने की शर्त तय कर दी है। इसी प्रकार उन लोगों को भी चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जो विभिन्न सहकारी संस्थाओं के सदस्य हैं। उपप्रधान के चयन के लिये परंपरागत तरीके में भी परिवर्तन कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि राज्य में हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष जिलों में 30 नवम्बर तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सम्पन्न होने हैं। राज्य में 7000 से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया है। सरकार ने पंचायतों को प्रशासकों के हवाले कर दिया है। हरिद्वार जिले में पंचायतों का कार्यकाल दिसंबर 2020 में खत्म होना है।

पंचायतों के कार्यकाल खत्म होने और उन्हें प्रशासकों के हवाले करने के मामले को पिछले दिनों जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी थी। इसके बाद उच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को 30 नवम्बर तक चुनाव संपन्न कराने के निर्देश दिये हैं।


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