Top
Begin typing your search above and press return to search.

यहां हर 'घर' के सीने पर हैं पाकिस्तान की गोलियों के जख्म

जम्मू फ्रंटियर के गांवों में रहने वालों की दुखभरी दास्तानों का कोई अंत नहीं है।

यहां हर घर के सीने पर हैं पाकिस्तान की गोलियों के जख्म
X

जम्मू फ्रंटियर के बार्डर से सटे गांवों का हर घर, सीने पर पाकिस्तानी गोलियों के जख्म लिए हुए है

जम्मू । जम्मू फ्रंटियर के गांवों में रहने वालों की दुखभरी दास्तानों का कोई अंत नहीं है। जबसे जम्मू सीमा पर गोलाबारी का क्रम आरंभ हुआ है तब से हजारों गांव कई बार उजड़ चुके हैं। हर बार वे अपने स्थान पर वापस आकर बसते हैं और फिर वही क्रम दोहराया जाता है। यह भी एक कड़वा सच है कि जम्मू बार्डर के गांवों का हर घर सीने पर पाकिस्तानी गोलियों का जख्म लिए हुए है।

शायद ही किसी घर की ऐसी दीवार हो जिस पर गोलाबारी के निशान न हों। बच्चों को तो सुरक्षित स्थानों पर भेज देते हैं, लेकिन परिवार का हिस्सा पशु धन को किसके हवाले छोड़ें। ऐसा मंजर है, पाकिस्तान से लगते बार्डर से सटे अरनिया क्षेत्र के गांवों का। अला गांव के सैनी समुदाय के लोग अपना दुखड़ा बयां करते भावुक हो जाते हैं। सभी लोग गोधन को लेकर चिंतित हैं। गायों व भैंसों को खुला छोड़ नहीं सकते और गले में रस्सी बंधी हो और वह मर जाए, यह कैसे सहन करेंगे। कई लोगों को औने-पौने दाम में पशुओं को बेचना पड़ा है। चिंता यह भी है कि गांव व घर छोड़कर चले जाएं तो कहीं चोर सक्रिय न हो जाएं। इस कारण उनकी नींद भी उड़ चुकी है।

पिछले वर्षों में पाक गोलाबारी का रेंज बढ़ाता ही जा रहा है। पिछले कुछ वर्ष से पाक रेंजरों ने अपनी तोपों के रेंज बढ़ाकर सीधा भारतीय रिहायशी गावों की तरफ निशाना साध रखा है। जीरो लाइन के अलावा छह किमी के दायरे के गाव भी अब पाक गोलाबारी से सुरक्षित नहीं रहे है।

बार्डर के साथ लगते साबा, रामगढ़, अरनिया, आरएस पुरा, हीरानगर, अखनूर, पल्लांवाला, छंब आदि सेक्टरों में होने वाली पाक गोलाबारी से रिहायशी गावों पर गोलाबारी का संकट है। पाक रेंजरों की तरफ से आम लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए हर किस्म के अधिक क्षमता वाले मोर्टार शेलों को भी प्रयोग में लाया जा रहा है।

मौजूदा समय में हीरानगर सेक्टर में पाक रेंजरों द्वारा दागे गए अधिक क्षमता वाले मोर्टार शेल इस बात का पुख्ता सबूत हैं। पाक रेंजरों ने हीरानगर सेक्टर में अधिक क्षमता वाले ऐसे कई मोर्टार शेल दागे, जिनसे हर तरफ तबाही का मंजर स्थापित हुआ। पाक की इन नापाक हरकतों और आम जनता को पहुंचाए जाने वाले नुकसान ने अब सीमांत लोगों के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। पाक तोपों के बढ़ते रेंज के आगे सीमात लोगों को अब कहीं पर भी अपना जीवन सुरक्षित महसूस नहीं होता।

वर्ष 2015 से लेकर मौजूदा समय तक पाक गोलाबारी की शैली में लगातार बदलाव हुआ है। पहले तो सरहद पर होने वाली पाक गोलाबारी का सिलसिला जीरो लाइन तक ही सीमित रहता था, जिसका आम जनजीवन पर कोई असर नहीं पड़ता था। पिछले कुछ सालों से भारतीय रिहायशी गाव पाक गोलों के निशाने पर आ चुके हैं। जिस तरह से पाक गोले सीधे रिहायशी गावों में पड़कर तबाही मचा रहे हैं। इससे लोगों में दहशत है।

--सुरेश एस डुग्गर--


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it