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इमरान खान की गिरफ्तारी से संकट में पाक

भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में इस वक्त गृहयुद्ध जैसे हालात बन रहे हैं

इमरान खान की गिरफ्तारी से संकट में पाक
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भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में इस वक्त गृहयुद्ध जैसे हालात बन रहे हैं। मंगलवार को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो (नैब) ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया है। वैसे तो इमरान खान पर कुल 83 एफआईआर विभिन्न मामलों में दर्ज है, जिनमें महिला जज को धमकी देना, बतौर प्रधानमंत्री मिले तोहफों को तोशाखाने में जमा न करना आदि शामिल हैं। लेकिन अभी इमरान खान को अल कादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट में कदाचार करने के जुर्म में नैब ने गिरफ्तार किया है। कहा जा रहा है कि कई नोटिस दिए जाने के बावजूद इमरान ख़ान पेश नहीं हुए, तो उन्हें गिरफ्तार किया गया। हालांकि जिस तरह से इमरान खान की गिरफ्तारी हुई है, उस पर उनके समर्थक सवाल उठा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इमरान खान किसी अन्य मामले में जमानत के लिए हाईकोर्ट गए थे, लेकिन उन्हें वहां अप्रत्याशित तरीके से गिरफ्तार किया गया। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के नेताओं ने इस गिरफ्तारी को अपहरण करार दिया है। आरोप है कि इमरान खान के साथ हिंसा भी हुई, हालांकि नैब ने ऐसे किसी आरोप से इंकार किया है।

पिछले साल इमरान खान को सत्ता से हटाया गया था और तब से उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप मौजूदा शाहबाज शरीफ की सरकार ने लगाए हैं। लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था और इस दौरान सत्ता से हटने के बावजूद इमरान खान सरकार के लिए लगातार चुनौती खड़ी कर रहे थे। उनके समर्थकों की बड़ी तादाद है और उन्हीं के दम पर इमरान खान फिर से सत्ता में वापसी की उम्मीदें लगाए बैठे थे। वे लगातार अपनी सत्ता से बेदखली को गलत बताते हुए निष्पक्ष चुनाव की मांग कर रहे थे। लेकिन शरीफ सरकार ने चुनावों की कोई पहल नहीं की। बल्कि अब इमरान खान को गिरफ्तार कर उनके राजनैतिक भविष्य को पूरी तरह खत्म करने की तैयारियां दिख रही हैं। दरअसल इमरान ख़ान इस समय अपनी लोकप्रियता के शिखर पर हैं और सरकार को लगता है कि ख़ान अगर कुछ दिनों तक जेल में रहेंगे तो उनकी लोकप्रियता में कमी आएगी। इधर सेना से भी इमरान ख़ान के रिश्ते बीते दिनों ख़राब हो गए हैं। इसलिए अगर इमरान ख़ान चुनाव जीतकर फिर से प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो सेना के लिए बहुत परेशानी हो जाएगी। इसलिए सरकार और सेना की कोशिश है कि इमरान ख़ान को जेल में बंद करके चुनाव करवाएं जाएं। क्योंकि तब उनके जीतने की संभावनाएं कम रहेंगी। 2018 में नवाज़ शरीफ़ को भी जेल में बंद करके चुनाव करवाया गया था, और इसका नुकसान उन्हें हुआ था।

शरीफ सरकार चुनाव कब करवाती है और इससे किसे फायदा और किसे नुकसान होता है, ये तो बाद की बात है। लेकिन अभी शरीफ सरकार के लिए चौतरफा मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। इमरान खान की गिरफ्तारी पर उनके समर्थक देश भर में हिंसक प्रदर्शन तो कर ही रहे हैं, पाकिस्तानी सेना भी उनके निशाने पर आ गई है। कई जगह सेना के ठिकानों को आग के हवाले कर दिया गया है। पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय में भी इमरान खान समर्थक घुस गए और तोड़फोड़ की है। पाकिस्तानी का सियासी इतिहास इस बात का गवाह है कि वहां निर्वाचित सरकारें भी सेना की बैसाखी के बिना कदम नहीं बढ़ा सकती हैं। ऐसे में इमरान खान ने सीधे सेना से मुठभेड़ कर ली है।

अगर सेना कमजोर दिखी तो शरीफ सरकार की मुश्किल और बढ़ेगी। सरकार पहले ही पाकिस्तान के आर्थिक संकट की वजह से फंसी हुई है। पिछले साल सत्ता संभालने पर शहबाज शरीफ ने सबसे बड़ा वादा किया था कि वो पाकिस्तान को मौजूदा आर्थिक स्थिति से बाहर निकालेंगे। लेकिन अभी हालात इतने बदतर हैं कि लोग दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं। एक डॉलर की क़ीमत 285 पाकिस्तानी रुपए हो गई है, ब्याज की दर में 9.5 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है, पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमत में लगभग 150 रुपए की बढ़ोतरी हुई है, देश का मुद्रा भंडार 10.5 अरब डॉलर से घटकर क़रीब 4.2 अरब डॉलर हो गया है और महंगाई की दर बढ़कर क़रीब 35 प्रतिशत हो गई है। इन हालात में आम जनता के लिए जीना मुहाल हो गया है। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से कर्ज भी नहीं ले पा रहा, क्योंकि एक तो आतंकवाद को प्रश्रय देने के आरोप उस पर लगते रहे हैं, दूसरे राजनैतिक अस्थिरता की वजह से उसकी साख को धक्का लगा है। पाकिस्तानी हुक्मरानों की नाकामयाबी वहां की आम जनता पर भारी पड़ रही है।

आर्थिक संकट और राजनैतिक अस्थिरता के इस दौर में चीन पाकिस्तान पर प्रभाव बढ़ाने में लगा है। हाल ही में चीन के विदेश मंत्री किन गांग पाकिस्तान दौरे पर थे और उन्होंने वहीं से पाक को नसीहत दी थी कि घरेलू और बाहरी मोर्चे की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान वहां के राजनेता निकालें। उन्होंने सीपीईसी यानी चीन-पाक आर्थिक गलियारे में हो रही देरी पर नाखुशी जताई थी। गौरतलब है कि सीपीईसी चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का एक हिस्सा है और इसके जरिए चीन दुनिया में अपने आर्थिक साम्राज्य को बढ़ाना चाहता है। चीन के विदेश मंत्री की नसीहत पर पाक में तीखी प्रतिक्रिया आई। इसे पाक के आंतरिक मामले में दखलंदाजी माना गया। लेकिन फिर सरकार को इमरान खान पर कार्रवाई भी करनी पड़ी, ताकि ये संदेश चीन को मिले कि वहां मजबूत सरकार है।

इमरान खान पर अब आगे क्या कानूनी कार्रवाई होती है, उन्हें कितनी सजा मिलती है, उन पर चल रहे बाकी मामलों में किस तरह कार्रवाई होती है, इन सवालों के जवाब भविष्य के गर्भ में हैं। मगर अभी पाकिस्तान के हालात देखकर कहा जा सकता है कि शाहबाज शरीफ दुधारी तलवार पर चल रहे हैं। उन्हें भयावह आर्थिक संकट के साथ राजनैतिक संकट का सामना कर पड़ रहा है। जब निर्वाचित सरकारें कमजोर होती हैं, तो अवांछित तत्वों को सिर उठाने का मौका मिल जाता है। पाकिस्तान में सेना के संरक्षण में ऐसे कई अवांछित तत्व पलते-बढ़ते रहे हैं और ये भारत के लिए खतरा रहे हैं।


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