Top
Begin typing your search above and press return to search.

मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे पर पाक की टिप्पणी का विरोध

भारत ने कहा है कि पाक के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू-कश्मीर यात्रा पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.

मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे पर पाक की टिप्पणी का विरोध
X

भारत ने मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे पर पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान को खारिज कर दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान के पास मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे को लेकर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "सभी ने देखा कि जम्मू-कश्मीर में वहां के लोगों ने किस तरह से स्वागत किया. इसे कोई कैसे भी देख ले लेकिन इसे स्टेज्ड यात्रा बताना गलत है."

दरअसल, मोदी के दौरे पर पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने टिप्पणी कर कहा था भारत, जम्मू-कश्मीर में सामान्य हालात होने का झूठा दिखावा कर रहा है.

आतंकवाद मुक्त माहौल चाहता है भारत

पाकिस्तान को लेकर भारत के रुख में बदलाव के सवाल पर प्रवक्ता ने कहा भारत का रुख बहुत सीधा है. बागची ने कहा, "एक ऐसा माहौल होना चाहिए जिसमें आतंकवाद ना हो. शांतिपूर्ण माहौल में ही बातचीत हो सकती है. यही हमारी जायज मांग है. इसमें कोई बदलाव नहीं है."

क्या शहबाज के पीएम बनने से भारत-पाक बातचीत पटरी पर लौटेगी?

प्रधानमंत्री मोदी 24 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर थे. उन्होंने रतले और क्वार पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण की आधारशिला रखी थी. पाकिस्तान ने चिनाब नदी पर रतले और क्वार पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण की आधारशिला रखने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह सिंधु जल संधि का "प्रत्यक्ष उल्लंघन" है.

आने वाले समय में किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर लगभग पांच हजार तीन सौ करोड़ रुपये की लागत से साढ़े आठ सौ मेगावाट की परियोजना और उसी नदी पर साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 540 मेगावाट की क्वार पनबिजली परियोजना का निर्माण किया जाएगा.

मोदी ने अपने दौरे के दौरान सांभा जिले के पल्ली गांव में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के मौके पर देश भर की ग्राम सभाओं को संबोधित किया था.

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बाहर के 34 लोगों ने खरीदी संपत्ति: केंद्र

दूसरी ओर बागची ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शरीफ के बीच पत्रों का आदान-प्रदान नियमित राजनयिक शिष्टाचार का हिस्सा था.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it