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पाकिस्तान आतंकवादियों के शरण स्थल के रूप में पहचान बना चुका है : विदेश सचिव

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ऑपरेशन सिंदूर के पीछे भारत सरकार की मंशा स्पष्ट की है। उन्होंने बताया कि भारत के पास पुख्ता सबूत हैं कि पाकिस्तान आतंकियों की शरणस्थली है। भारत ने नपे-तुले अंदाज में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया

पाकिस्तान आतंकवादियों के शरण स्थल के रूप में पहचान बना चुका है : विदेश सचिव
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नई दिल्ली। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ऑपरेशन सिंदूर के पीछे भारत सरकार की मंशा स्पष्ट की है। उन्होंने बताया कि भारत के पास पुख्ता सबूत हैं कि पाकिस्तान आतंकियों की शरणस्थली है। भारत ने नपे-तुले अंदाज में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।

मिस्री ने कहा, "26 नवंबर 2008 को हुए हमले के बाद भारत में हुई किसी आतंकवादी हमले में मारे गए आम नागरिकों की संख्या की दृष्टि से सबसे गंभीर घटना पहलगाम का हमला अत्यधिक बर्बरता पूर्ण था, जहां मौजूद लोगों को करीब से उनके परिवारों के सामने सिर पर गोली मारी गई। हत्या के इस तरीके से परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आघात पहुंचाया गया, साथ ही उन्हें यह नसीहत दी गई कि वे वापस जाकर इस संदेश को पहुंचा दें।"

उन्होंने आगे कहा कि यह हमला स्पष्ट रूप से जम्मू और कश्मीर में बहस हो रही सामान्य स्थिति को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया था। पैटर्न फिर से अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बन रहा था। इस हमले का मुख्य उद्देश्य देश के प्रतीक को प्रभावित करना था। पिछले वर्ष लगभग 2 करोड़ से अधिक पर्यटक कश्मीर आए थे। इस समय का मुख्य उद्देश्य इसलिए संभवतः एक संघ राज्य क्षेत्र में विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर इसे पिछड़ा बनाए रखना था। पाकिस्तान से लगातार होने वाली सीमा पार आतंकवाद से उपजाऊ जमीन बनाने में सहायता की जाए। हमले में जम्मू और कश्मीर और शेष राष्ट्र दोनों में सांप्रदायिक दंगे बढ़कर इसका श्री भारत और सभी नागरिकों को दिया जाना चाहिए, उनके प्रयासों को सफल कर दिया।

उन्होंने बर्बर कार्रवाई को लेकर कहा- पहलगाम का हमला बहुत बर्बरतापूर्ण था। पाकिस्तान के आतंकियों से संबंध उजागर हुए हैं, हमलावरों की पहचान भी हुई है। परिवारों के सामने गोली मारी गई, पर्यटकों पर गोली बरसाई गई। आतंक के संबंध का पाकिस्तान से लंबा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। आतंकी हमले में टीआरएफ की भूमिका आई। प्रत्यक्षदर्शियों के इनपुट के आधार पर उन्हें चिन्हित किया गया।

हमले का यह तरीका जम्मू-कश्मीर और देश में सांप्रदायिक दंगे फैलाने से प्रेरित था। एक समूह ने खुद को टीआरएफ कहते हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। इसे यूएन ने प्रतिबंधित किया है और यह लश्कर से जुड़ा हुआ है।

पाकिस्तान स्थित समूहों के लिए कवर के तौर पर टीआरएफ का इस्तेमाल किया गया। लश्कर जैसे संगठन टीआरएफ जैसे संगठनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहलगाम हमले की जांच से पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों के संपर्क उजागर हुए हैं।

टीआरएफ के दावे और लश्कर से सोशल मीडिया पोस्ट इसे साबित करती हैं। हमलावरों की पहचान भी हुई है। इस हमले की रूपरेखा भारत में सीमापार आतंकवाद फैलाने के पाकिस्तान के प्लान की योजना साबित हुई है। पाकिस्तान आतंकवादियों के शरण स्थल के रूप में पहचान बना चुका है।


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