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मोदी, ट्रंप के बीच पाकिस्तान

आपरेशन सिंदूर पर आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप और नरेन्द्र मोदी के बीच सीधी बातचीत हो ही गई

मोदी, ट्रंप के बीच पाकिस्तान
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आपरेशन सिंदूर पर आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप और नरेन्द्र मोदी के बीच सीधी बातचीत हो ही गई। जिसमें ट्रंप ने पहले की तरह आतंकवाद के खिलाफ भारत का साथ देने की प्रतिबद्धता जतलाई है। लेकिन क्या भारत को ट्रंप की जबान का यकीन करना चाहिए, ये एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। क्योंकि जिस समय ट्रंप श्री मोदी से फोन पर आतंकवाद और इसके अलावा दुनिया में चल रहे युद्धों पर चर्चा कर रहे थे, उस समय पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर अमेरिका में ही थे और बुधवार को उनका राष्ट्रपति ट्रंप के साथ लंच निर्धारित हो चुका था। यह वही असीम मुनीर हैं जो भारत में आग लगाने की धमकी दे चुके हैं, जो खुलकर आतंकवादियों का साथ दे रहे हैं, और ट्रंप ऐसे व्यक्ति की मेजबानी कर रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान की तरफ अपना झुकाव ट्रंप ने पहले जाहिर नहीं किया है। अभी कुछ दिनों पहले ट्रंप ने पाकिस्तान के नेतृत्व को मजबूत बताते हुए कहा था कि इससे कुछ लोगों को तकलीफ होती है, यह सीधे तौर पर भारत को चिढ़ाने वाली बात थी। इसके अलावा 10 मई से लेकर अब तक ट्रंप कम के कम 14 बार यह दावा कर चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम उन्होंने करवाया। जब पहलगाम हमला हुआ था और ऑपरेशन सिंदूर शुरु नहीं हुआ था, तब भी ट्रंप ने कहा था कि दोनों देशों के बीच हजारों सालों से समस्या चली आ रही है, दोनों के नेता महान हैं और वो आपस में अपने मसले सुलझा लेंगे। जितने आराम से ट्रंप भारत और पाकिस्तान को एक पलड़े पर रखते हैं, कायदे से उसका कड़ा जवाब भारतीय नेतृत्व की तरफ से दिया जाना चाहिए। लेकिन नरेन्द्र मोदी इस मामले में भारतीय इतिहास के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री साबित हो चुके हैं। आज तक किसी प्रधानमंत्री ने अमेरिका की इतनी दादागिरी बर्दाश्त नहीं की, जितनी श्री मोदी कर रहे हैं। खुद भाजपा के ही कई नेता इस बारे में दबी-खुली जुबान से आलोचना कर चुके हैं। लेकिन इस समय नरेन्द्र मोदी की छवि को बनाने की मुहिम में सब लगे हैं, इसलिए इस कमजोरी का जिक्र नहीं होता और बाकी कसर भाजपा का पिठ्ठू मीडिया पूरी कर रहा है।

अभी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर नरेन्द्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच जो चर्चा हुई, उसे लेकर कुछ पत्रकार कांग्रेस और राहुल गांधी का मखौल उड़ा रहे हैं कि ये नरेन्दर, सरेण्डर की बात करते थे, अब उन्हें मुंह की खानी पड़ी। लेकिन कांग्रेस को कोसते वक्त ये लोग भूल जाते हैं कि बात कांग्रेस की नहीं देश की है और इस समय पाकिस्तान को अमेरिका ने जैसा अपना सगा बना लिया है, उसमें भारत का अपमान करने की ही चेष्टा की है। जिसका जवाब मोदी सरकार की तरफ से जाना चाहिए।

गौरतलब है कि कनाडा में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से न हो सकी थी, क्योंकि ट्रंप इजरायल-ईरान युद्ध के कारण बैठक बीच में ही छोड़कर अमेरिका वापस आ गए थे। लेकिन बुधवार सुबह-सुबह भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति ट्रंप से प्रधानमंत्री मोदी की फोन 35 मिनट तक बातचीत हुई है और यह संवाद राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर हुआ है। इस दौरान ट्रंप ने श्री मोदी को कनाडा से अमेरिका आने का न्यौता दिया, लेकिन प्रधानमंत्री के पहले से तय कार्यक्रम के कारण अमेरिका का न्यौता स्वीकार नहीं किया गया। लेकिन दोनों नेताओं ने ईरान-इजरायल और रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग पर लंबी चर्चा की। विक्रम मिस्री के मुताबित प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की नीति स्पष्ट करते हुए कहा कि कश्मीर या पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों में भारत का रुख हमेशा से यही रहा है कि यह द्विपक्षीय मामला है और किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार्य नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से साफ शब्दों में कहा है कि भारत किसी भी सूरत में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता। न पहले की, न अब करता है और न ही भविष्य में ऐसा होगा।

चूंकि विदेश सचिव ने यह जानकारी दी है, इसलिए इसे भारत सरकार का आधिकारिक वक्तव्य माना जाएगा। लेकिन यह देखकर आश्चर्य हुआ कि प्रधानमंत्री कार्यालय और खुद प्रधानमंत्री मोदी का सोशल मीडिया एकाउंट इस मुलाकात पर बिल्कुल खामोश है। जबकि श्री मोदी ने कनाडा पहुंचने से लेकर वहां बैठक खत्म कर रवाना होने तक सारी जानकारी एक्स एकाउंट पर दी है। जी-7 देशों के नेताओं के अलावा अन्य आमंत्रित देशों के प्रमुखों, यूरोपीय यूनियन के नेताओं से मुलाकात के फोटो नरेन्द्र मोदी ने पोस्ट किए हैं, सबके लिए अलग से संदेश लिखा है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत हुई, इसकी जानकारी अपने सोशल मीडिया पोस्ट से नहीं दी। कम से कम इन पंक्तियों के लिखे जाने तक ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई थी। इसलिए अब यह सवाल उठता है कि जब नरेन्द्र मोदी ने ट्रंप को खरी-खरी सुना ही दी है, तो उसकी जानकारी क्यों नहीं दी। ऐसा होता तो कांग्रेस जो सवाल उठा रही थी कि मोदी अपना मुंह क्यों नहीं खोलते, उसका जवाब भी मिल जाता। लेकिन श्री मोदी इस बारे में फिर खामोश हैं।

उधर पांच दिनों की अमेरिका यात्रा पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर डोनाल्ड ट्रम्प के साथ लंच करने के बाद किस तरह भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करेंगे, इस बारे में अब सरकार को सतर्क हो जाना चाहिए। असीम मुनीर का यह दौरा इस लिहाज से अहम हो जाता है कि यह पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर के ठीक बाद हो रहा है, और अभी ईरान और इजरायल के बीच युद्ध में पाकिस्तान, चीन की तरह ईरान के साथ खड़ा है। जबकि अमेरिका ईरान के खिलाफ हैं। पाकिस्तान चीन और अमेरिका दोनों को एक साथ साध रहा है, और हम यहां इसी में खुश हैं कि श्री मोदी ने ट्रंप से आधे घंटे फोन पर बात की।


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