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चुनाव ड्यूटी के लिए पाकिस्तानी सेना उपलब्ध नहीं

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने पाक के ईसीपी को बताया कि सशस्त्र बल पंजाब और केपी में प्रांतीय विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 64 नेशनल असेंबली सीटों पर होने वाले उपचुनावों के दौरान सुरक्षा कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम नहीं होंगे

चुनाव ड्यूटी के लिए पाकिस्तानी सेना उपलब्ध नहीं
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने पाक के चुनाव आयोग (ईसीपी) को बताया कि सशस्त्र बल पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में प्रांतीय विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 64 नेशनल असेंबली सीटों पर होने वाले उपचुनावों के दौरान सुरक्षा कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम नहीं होंगे, क्योंकि यह जनगणना और आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यस्त रहेंगे। मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस हफ्ते की शुरुआत में चुनावी निकाय ने सरकार को पत्र लिखकर राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में आम और उपचुनाव कराने के लिए नागरिक सशस्त्र बलों की टुकड़ियों की तैनाती की मांग की थी। गृह मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान एक कठिन सुरक्षा स्थिति से गुजर रहा है, जैसा कि देशाभर में आतंकवाद की घटनाओं में हाल ही में हुई वृद्धि से स्पष्ट है।

डॉन रिपोर्ट के अनुसार, इसमें मल्टी-डिमेन्शनल सुरक्षा चिंताओं का जिक्र किया गया है जिसमें सीमा सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों, कानून और व्यवस्था के रखरखाव, बदमाशों और राज्य विरोधी तत्वों द्वारा बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए अग्रिम चौकियों पर तैनाती शामिल है। मंत्रालय ने कहा कि खुफिया एजेंसियां और नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी (एनएसीटीए) देश में मौजूद सुरक्षा स्थिति के बारे में खतरे के अलर्ट जारी कर रही हैं, जिसे प्रांतीय सरकारों के साथ भी साझा किया गया है।

इसने ने खेद व्यक्त किया कि पिछले महीने में कई आतंकवादी घटनाएं हुईं, जिससे कीमती जान गइर्ं। इनमें से एक पेशावर पुलिस लाइन की एक मस्जिद में आत्मघाती बम विस्फोट था, जिसमें 80 से अधिक लोग मारे गए थे जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी थे।

डॉन रिपोर्ट के अनुसार, पत्र में कहा गया है कि इस संदर्भ में यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि देश की शांति और स्थिरता और लोगों के जीवन एवं संपत्ति के लिए आतंकवादियों द्वारा उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए सुरक्षाबल पूरी तरह से लगे हुए हैं। इसने आगे बताया कि एक आतंकवादी संगठन ने खुले तौर पर राजनेताओं को धमकी दी थी और ऐसी आशंका थी कि चुनाव अभियान के दौरान राजनीतिक नेतृत्व संभावित लक्ष्य हो सकता है।

डॉन रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय ने कहा कि ईसीपी के अनुरोध को जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) में सैन्य संचालन निदेशालय के साथ भी उठाया गया था, क्योंकि यह एक प्रमुख हितधारक था।


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