पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की ट्रंप से व्हाइट हाउस में दो घंटे से अधिक चली बैठक: आईएसपीआर
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात की, जो दो घंटे से अधिक समय तक चली

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में मुलाकात की, जो दो घंटे से अधिक समय तक चली।
इस दौरान आतंकवाद विरोधी प्रयासों, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने जैसे विषयों पर व्यापक चर्चा हुई। यह जानकारी पाकिस्तानी सेना की मीडिया इकाई इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने दी है।
आईएसपीआर के मुताबिक, यह बैठक शुरू में एक घंटे के लिए निर्धारित थी, लेकिन संवाद की गहराई और सौहार्दपूर्ण माहौल को देखते हुए यह दो घंटे से अधिक चली।
बैठक ऐसे समय हुई जब जनरल मुनीर की अमेरिका यात्रा को इमरान खान की पार्टी पीटीआई और प्रवासी पाकिस्तानियों के विरोध प्रदर्शन ने घेर लिया था।
वॉशिंगटन स्थित उनके लग्जरी होटल के बाहर भारी विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसमें उन्हें "पाकिस्तानियों का कातिल" और "इस्लामाबाद का कातिल" जैसे नारों का सामना करना पड़ा।
आईएसपीआर ने कहा कि बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और मध्य पूर्व मामलों के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ भी शामिल हुए। वहीं, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में आईएसआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम मलिक भी मौजूद थे।
बातचीत में व्यापार, आर्थिक विकास, खनन, ऊर्जा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्रिप्टोकरेंसी और नई तकनीकों सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के अवसरों पर भी चर्चा हुई।
आईएसपीआर के अनुसार, ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक तालमेल और साझे हितों के आधार पर व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की इच्छा जताई। जनरल मुनीर ने ट्रंप के राजनयिक दृष्टिकोण और वैश्विक चुनौतियों को समझने की क्षमता की सराहना की।
हालांकि, इस यात्रा को पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के लिए शर्मनाक मोड़ तब मिला, जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक प्रदर्शनकारी उन्हें "गीदड़" (कायर व धोखेबाज) कहता नजर आया।
बता दें कि यह मुनीर की अमेरिका की पहली आधिकारिक यात्रा है, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद हो रही है। उस हमले में 26 नागरिकों की मौत हुई थी। इसके बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था।