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पाकिस्तान ने सऊदी अरब से उसके बैंक को दी गई जमा राशि न निकालने की अपील की

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा है कि सरकार ने सऊदी अरब से स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) को दी गई अपनी जमा राशि वापस नहीं लेने और इस्लामाबाद के लिए अपनी तेल सुविधा का विस्तार करने का अनुरोध किया है

पाकिस्तान ने सऊदी अरब से उसके बैंक को दी गई जमा राशि न निकालने की अपील की
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा है कि सरकार ने सऊदी अरब से स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) को दी गई अपनी जमा राशि वापस नहीं लेने और इस्लामाबाद के लिए अपनी तेल सुविधा का विस्तार करने का अनुरोध किया है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, कराची में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से वादे करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पर की आलोचना की, क्योंकि उनके अनुसार वे वादे 'राष्ट्र के हितों के खिलाफ' थे।

उन्होंने कहा, "वे वादे बारूदी सुरंगों से कम नहीं हैं।"

उन्होंने कहा कि खान पाकिस्तान के इतिहास में सबसे तेजी से बढ़ती महंगाई देकर गए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान ऐतिहासिक भारी-भरकम ऋण लिया।

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर था।

उन्होंने कहा, "बुशरा बीबी की दोस्त फराह गोगी और शहजाद अकबर पीटीआई सरकार का कार्यकाल खत्म होने के तुरंत बाद देश छोड़कर चले गए।"

उन्होंने सवाल किया कि पंजाब में फराह के निर्देश पर ट्रांसफर और पोस्टिंग क्यों की गई?

उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को नष्ट कर दिया है। मिफ्ता ने कहा कि खान ने आईएमएफ से कहा था कि वे डीजल की कीमतों पर नुकसान नहीं उठाएंगे।

वित्त मंत्री मिफ्ता ने आगे कहा, "अब, हम पिछली सरकार के आईएमएफ के साथ किए गए वादों के साथ फंस गए हैं।"

बता दें कि आर्थिक रूप से तंगहाल पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी अरब की मदद पर निर्भर रहा है। पिछले कुछ सालों के दौरान पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री रहा हो, उसने सऊदी जाकर मदद जरूर मांगी है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जब-जब संकट में आती है, सऊदी अरब उसकी मदद के लिए आगे आता है। पिछले साल जब पाकिस्तान बुरी तरह से आर्थिक संकट में फंस गया था और डॉलर के मुकाबले उसका रुपया टूट रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार भी खत्म हो रहा था, तब भी सऊदी ने ही उसकी मदद की थी।


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