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सीप की मोती ने श्वेतांक को दिलाई नई पहचान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के श्वेतांक को सीप की मोती ने नई पहचान दिलाई है।

सीप की मोती ने श्वेतांक को दिलाई नई पहचान
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वाराणसी | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के श्वेतांक को सीप की मोती ने नई पहचान दिलाई है। छोटे से गांव नारायणपुर के एक पोखर में सीपियों को डालकर मोती निकालने की कला के माहिर श्वेतांक के हौसले की तारीफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है।

प्रधानमंत्री ने इस युवा प्रयास की जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की थी, जिसके बाद मोती की खेती करने वाले के यहां आज(मंगलवार को) योगी सरकार के मंत्री अनिल राजभर भी पहुंचे और उनका का हौसला भी बढ़ाया।

वाराणसी से करीब 25 किमी दूर नारायणपुर गांव के श्वेतांक पाठक ने एमए, बीएड डिग्री हासिल की है। श्वेतांक ने इन्टरनेट के जरिए खेतियों की नई-नई तकनीक के बारे में जाना। ऐसे में उन्हें मोती की खेती के बारे में पता चला और वह इसी काम में जुट गए।

श्वेतांक ने आईएएनएस से बातचीत में बताया, "मैं सीप और मोती की खेती करीब डेढ़ साल से कर रहा हूं। यूट्यूब के सहारे मैंने इसकी शुरूआत की। पहले बहुत नुकसान भी हुआ। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। लगातार लगा रहा। एक दिन अचानक प्रधानमंत्री मोदी ने भी मेरी सोशल मीडिया के माध्यम से तारीफ की। इसके बाद मेरी काम करने की रफ्तार बढ़ गयी है।"

उन्होंने बताया, "मोतियां तीन तरह की होती है। डिजानइर मोती जिसे तैयार होने में 13 माह का समय लगता है। हॉफ क्राउन मोती को बनने में 18-20 माह लगते है। यह अंगूठी में इस्तेमाल होती है। गोल मोती को बनने में करीब ढाई से तीन साल का समय लगता है। यह कच्चे गड्ढे में तैयार होती है। इसके लिए ऑक्सीजन पम्प और तिरपाल की जरूरत होती है। अभी मैंने 2000 सीप से इसकी शुरुआत की है। जिसमें 60 हजार का खर्च आया है।

श्वेतांक ने कहा, "सीपों का भोजन काई होता है। इसे पेस्ट में मिलाकर तलाब में डालते है। इनको नदियों-तलाबों से लाने के बाद कम से कम 10 से 12 दिन तक एक तलाब में रखते है। इसके बाद इनमें डिजाइनर न्यूक्लिीयस डालते हैं। फिर 3 दिनों के लिए एंटीबायोटिक में रखते है। जिससे यह अपना अकार ढंग से ले लें। फिर एक जाली के बैग में 10-12 सीपों को पानी में डालते है। पानी का पीएच नियमित देखते हैं।"

उन्होंने कहा, "बीच-बीच में इनकी मौतें भी होती है। इसलिए इसकी जांच करनी पड़ती है। इसमें जितना काम करेंगे उतना मुनाफा होगा। इसमें मृत्युदर रोकने के लिए देखभाल करनी पड़ती है। बहुत ज्यादा धूप से इन्हें बचाना होता है। पानी भी बदलना पड़ता है।"

उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी को हमारी खेती का मीडिया के माध्यम से पता चला तो उन्होंने हम लोगों को सराहा है। इसके बाद हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है। इसे देखने के लिए काफी लोग आने लगे है। आज योगी सरकार के पिछड़ा दिव्यांग कल्याण मंत्री अनिल राजभर भी आए थे। हमारी जिम्मेदारी बढ़ गयी है। उदय देव समिति कृषि उद्यम संस्था ने मेरा बहुत ज्यादा हौसला बढ़ाया है। हर प्रकार से मुझे यहां से सहायता मिली है। मेरे हर मुकाम तक पहुंचने में इनका बहुत बड़ा योगदान है।"

उन्होंने बताया, "मेरा ट्रेनिंग के लिए सेन्ट्रल इंस्ट्टियूट आफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर (सिफा) में चयन भी हो गया है। ट्रेनिंग 17 से 19 नवंबर तक चलेगा।"


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