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विदेश में भी जांच करेगी एनआईए

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को विदेशी धरती पर जांच का अधिकार देने वाला विधेयक सोमवार को लोकसभा में छह के मुकाबले 278 मतों से पारित हो गया

विदेश में भी जांच करेगी एनआईए
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को विदेशी धरती पर जांच का अधिकार देने वाला विधेयक सोमवार को लोकसभा में छह के मुकाबले 278 मतों से पारित हो गया। ऑल इंडिया मजिलेस इत्तेहादुल मुस्लमीन के असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय अन्वेशन अभिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 पर मत विभाजन की मांग की। गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि वह स्वयं चाहते हैं कि मत विभाजन हो ताकि पता चले कि कौन आतंकवाद के खिलाफ है और कौन उसका समर्थक।

हालांकि कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सभी विधेयक का समर्थन कर रहे हैं और इसलिए मत विभाजन की आवश्यकता नहीं है। लेकिन बाद में सरकार को इस विधेयक पर मत विभाजन कराना पड़ा। मतविभाजन के दौरान 6 मत विधेयक के खिलाफ और 278 विधेयक के पक्ष में पड़े। चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और एमआईएमआईएम नेता असदुदïï्दीन ओवेसी की तीखी बहस हुई। विधेयक पर रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी सदस्य एन.के. प्रेमचंद्रन के आठ संशोधनों को सदन ने ध्वनि मत से अस्वीकार कर दिया।

पाक में जांच नहीं कर पाएगी एनआईए

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आंतकवाद को लेकर संयुक्त राष्ट्र की संधि पर भारत के हस्ताक्षर के मद्देनजर सरकार एनआईए विधेयक में संशोधन लायी है। इस संधि पर पाकिस्तान ने हस्ताक्षर नहीं किये हैं। ऐसी स्थिति में, निश्चित तौर पर, एनआईए वहाँ जाँच के लिए नहीं जा सकती। उन्होंने कहा, लेकिन एनआईए की जाँच के अलावे सर्जिकल स्ट्राइक और अन्य (बालाकोट) स्ट्राइक जैसे बहुत रास्ते हमारे पास खुले हैं। इस पर टीएमसी के कल्याण बनर्जी से पूछा, पाकिस्तान संधि पर हस्ताक्षर नहीं करता तो क्या हमें उसके कारण अपने यहाँ भी आतंकवाद निरोधक कार्रवाई छोड़ देनी चाहिए?

देश की सुरक्षा का है मुद्दा : रेड्डी

इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि आतंकवाद आज वैश्विक मुद्दा बन गया है और संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद एनआईए को आतंकवाद को जड़ से समूल नाश करने के लिए पर्याप्त ताकत मिलेगी। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना मोदी सरकार का वादा है और सभी राजनीतिक दलों को सरकार के इस अभियान में शामिल होना चाहिये, क्योंकि यह मसला राजनीति से संबंधित नहीं, बल्कि देश की रक्षा और सुरक्षा से संबंधित है।


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