ग्रामीण क्षेत्रों में 'गलघोटू' का प्रकोप
बच्चों को होने वाली बीमारी गलघोटूं एक बार फिर तेजी से जिले में फैल रही
स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ी,'डोर टू डोर' सर्वे शुरू
बिलासपुर। बच्चों को होने वाली बीमारी गलघोटूं एक बार फिर तेजी से जिले में फैल रही है। तखतपुर, गनियारी सहित कई गांव इसके चपेट में आ गए है। गले में होने वाली यह बीमारी प्राय: बच्चों में होती है। जो कि जानलेवा होती है। स्वास्थ्य विभाग के अमले ने गांवोंं में डोर टू डोर सर्वे का काम शुरू कर दिया है।
डेंगू, डायरिया व स्वाइन फ्लू के बाद अब जिले में अब गलघोटूं बीमारी की चपेट में आधा दर्जन गांव बच्चे आ गए है। जिसमें स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ गई है। इस बीमारी के दफ्तर के बाद स्वास्थ्य विभाग के अमले ने गांवो में सर्वे शुरू कर दिया है। वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सभी सीएचसी व पीएचसी केद्रों में अलर्ट कर दिया गया है। गलघोटूं रोग प्राय: बच्चों में ज्यादा होता है। यह रोग 1 वर्ष से लगभग 8 वर्ष की आयु के बच्चों में होता है। यह डिप्थीरिया बेसिलस नामक जीवाणु से फैलता है इसका संक्रमण गले से शुरू होता है और धीरे-धीरे सारे शरीर में फैल जाता है। यदि सही समय पर इसकी इलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह रोग जानलेवा हो जाता है।
संक्रमित रोगी के खांसने से इस रोग के जीवाणु फैलते है। जिन बच्चों के गलें में पहले ही संक्रमण या सूजन है, उनमें यह रोग होने की आशंका अधिक होती है । गले मेंं संक्रमण के साथ ही यह जीवाणु एक विष छोड़ता है, जो बहुत जल्दी सारे शरीर में फैल जाता है। गलघोटूं रोग के लक्षण में गले में सफेद चमड़े जैसी एक झिल्ली बन जाती है, जो इस रोग का विशेष चिन्ह होती है। झिल्ली के चारों ओर की श्लेएमकला में सूजन होती है। शरीर में विष फैलने के साथ ही बुखार, सुस्ती व कमजोरी के लक्षण प्रकट होते जाते है। गले में सूजन आने से सांस लेने में कठिनाई होती है। मस्तिष्क व हृदय के मांस में विष फैलने के साथ ही रोगी के बचने की संभावना कम होती चली जाती है।


