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बारिश के साथ बढ़ा मच्छरों का प्रकोप, नालियों की सफाई नहीं

 बरसात लगने के साथ ही एक ओर जहां बिजली की ऑख मिचौनी चल रही है

बारिश के साथ बढ़ा मच्छरों का प्रकोप, नालियों की सफाई नहीं
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बरसात पूर्व तैयारी के प्रति स्वास्थ्य विभाग व नगर पालिका गंभीर नहीं
जांजगीर। बरसात लगने के साथ ही एक ओर जहां बिजली की ऑख मिचौनी चल रही है, वहीं पालिका द्वारा नालियों की सफाई न कर पाने के चलते मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। वहीं जाम नालियों से बारिश का पानी सड़कों में बहने से गंदगी व बदबू फैलने लगा है।

हालांकि पालिका प्रशासन नालियों के सफाई का दावा कर रही है, मगर अभी भी सफाई का काम कुछ ही वार्डों में आधा-अधूरा हो सका है, जबकि बारिश पूर्व ही ये काम कर लिया जाना था। अब जब बारिश के पानी से मच्छरों के लार्वा तेजी से पनपने लगे है, ऐसे में सफाई के साथ-साथ डीडीटी का छिड़काव कही नजर नहीं आ रहा है। पालिका में रखे फागिंग मशीन बिगड़ा पड़ा है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

बारिश के साथ ही मच्छरों के आंतक से लोग परेशान है। जिस पर नियंत्रण का सारा प्रयास निष्फल साबित हो रहा है। वहीं मलेरिया नियंत्रण विभाग एवं स्थानीय नगर पालिका प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं, जगह-जगह फैली गंदगी व जाम नालियों से मच्छरों के लार्वा भारी गर्मी के बावजूद तेजी से पनप रहे है। आलम यह है कि लोग शाम होते ही घरों के दरवाजे बंद कर धुंए और स्प्रे का छिड़काव तो करते है मगर इससे स्थायी राहत के बजाय कुछ समय तक ही राहत मिल पाती है। तापमान में गिरावट के साथ ही जाम नालियों में मच्छर के लार्वा तेजी से पनप रहे है। जो शाम होते ही अपना प्रकोप दिखाने लगे है। साधारण क्वायल अथवा स्प्रे भी कारगर नहीं रहे।

फलस्वरूप मच्छरों से राहत नहीं मिल पा रहा उधर जिला मलेरिया विभाग का कागजी रिकार्ड तो मेन्टेन मिलता है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और खुली नालियों में बजबजाते मच्छर के लार्वा शाम होते ही लोगों की चैन छीन लेते लेते है। इससे निजात पाने अधिकांश घरों में अलग से बजट बनानी पड़ रही है।

जो टिकिया, क्वायल अथवा स्प्रे के रूप में उपयोग होता है। बावजूद इसके मच्छरों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा, वहीं इन कैमिकल युक्त धुंए से सेहत पर विपरीत प्रभाव भी होता है खासकर बच्चों व स्वंास संबंधी मरीजों को इससे इंफेक्शन की संभावना ज्यादा होती है। फिर लोग इसके उपयोग से पीछे नही हटते। इस सब के बीच मलेरियां व अन्य बीमारियों के मरीज प्रतिदिन निजी अथवा सरकारी अस्पतालाओं में पहुंच रहे हंै।


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