हमारी सोच देश और समाज के हित में होनी चाहिये: वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने दहाई अंक की विकास दर हासिल करने की जरूरत बताते हुये आज कहा कि हमारी सोच नयी तथा देश और समाज के हित में होनी चाहिये।

नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने दहाई अंक की विकास दर हासिल करने की जरूरत बताते हुये आज कहा कि हमारी सोच नयी तथा देश और समाज के हित में होनी चाहिये।
नायडू ने यहां प्रगति मैदान में विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी एवं सम्मेलन केंद्र के शिलान्यस के बाद कहा कि भारत मौजूदा समय में दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जब दुनिया के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था में मंदी है, हमारा ‘पड़ोसी देश’ भी फिसल रहा है, इस मामले में आगे बढ़ने वाला एक मात्र देश भारत है।
उन्होनें कहा कि आज हम ‘नये भारत’ की ओर जा रहे हैं। हमारी सोच नयी होनी चाहिये। हमें देश और समाज के हित में सोचना चाहिये। सुशासन और प्रदर्शन हमारा लक्ष्य होना चाहिये।
नायडू ने कहा कि भारतीय सभ्यता 10 हजार साल पुरानी है। विदेशी हमलावरों के हमलों से पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारा योगदान 27 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक विकास दर एक बार फिर दहाई अंकों में ले जाने की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मौजूदा सरकार के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘डिजिटलीकरण’ जैसे प्रयासों के कारण देश में बड़े पैमाने पर निवेश आ रहा है।


