हमारे ग्रंथ ही हमें सत्य से मिलाने का काम करते हैं- आचार्य प्रशान्त
कृष्ण को अगर पाना है तो गीता की तरफ जाना होगा क्योंकि हमारे ग्रंथ ही हमें सत्य से मिलाने का काम करते हैं

ग्रेटर नोएडा। कृष्ण को अगर पाना है तो गीता की तरफ जाना होगा क्योंकि हमारे ग्रंथ ही हमें सत्य से मिलाने का काम करते हैं। वर्तमान समय में हमारे धर्म स्थल तो केवल महज एक प्रतीक बन कर रह गए हैं।
प्रशान्त अद्वैत संस्था के संस्थापक एवम पूर्व सिविल सेवा अधिकारी आचार्य प्रशान्त ने नॉलेज पार्क स्थित केसीसी कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय वेदांत महोत्सव को सम्बोधित करते हुए कहा कि माया विभिन्न रूपों में आज हमारे बीच मौजूद है बस हमें उन्हीं रूपों को पहचानना है, हम माया को ही वास्तविक मान लेते हैं जबकि वह केवल अहंकार है जो हमे मुक्ति की और ले जाये वही अध्यात्म है।
उन्होंने कहा कि बाहरी दिखावटी दुनिया मनुष्य को अंधकार की और धकेल रही है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को जो उपदेश दिया था वह था अन्याय के खिलाफ लड़ना,धर्म की रक्षा के लिए लड़ना हमे बस यही समझना है हम कर क्या रहे हैं।
आचार्य प्रशान्त ने कहा कि मूल्य आपकी चेतना का है, आपके शरीर का नहीं और मूल्य आपके चुनाव का है, आपकी स्थिति का नहीं। जिसको आप बुरी स्थिति कहते हैं, उस बुरी-से-बुरी स्थिति में भी जो व्यक्ति श्रेष्ठ चुनाव कर रहा है, वह बेहतर है।
उन्होंने कहा कि शरीर तुम्हारी स्थिति है, चेतना तुम्हारा चुनाव है। शरीर तुम बदल नहीं सकते और चेतना बस वैसी ही होती है जैसा तुमने उसे बदल-बदलकर बना दिया होता है। शरीर से बड़ा बंधन दूसरा नहीं और चेतना से बड़ी मुक्ति दूसरी नहीं।


