किसानों के लिए जारी रहेंगी अन्य योजनाएं, अनुदान : वित्त सचिव
सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतरिम बजट में किसानों के लिए आय सहयोग की नई योजना की घोषणा के बावजूद उन्हें पहले की योजनाओं और अनुदानों का लाभ भी मिलता रहेगा

- मनीष गुप्ता/विश्व
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अंतरिम बजट में किसानों के लिए आय सहयोग की नई योजना की घोषणा के बावजूद उन्हें पहले की योजनाओं और अनुदानों का लाभ भी मिलता रहेगा और उनके लिए जारी किसी प्रकार के अनुदान व अन्य योजनाओं को वापस नहीं लिया जाएगा।
सरकार की माने तो किसानों के लिए शुरू की गई नई योजना के तहत 75,000 करोड़ रुपये की लागत का बोझ बढ़ने के बावजूद अगले वित्त वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में कोई वृद्धि नहीं होगी।
वित्त सचिव अजय नारायण झा ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "किसानों के लिए आज तक लागू किसी योजना या अनुदान को वापस लेने का सवाल ही नहीं है। सभी अन्य योजनाएं जारी रहेंगी।"
उन्होंने कहा, "6,000 रुपये की आय सहयोग योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए है। इसे किसानों की मदद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जैसी पहले से चली आ रही अन्य योजनाओं के बड़े संदर्भ में देखा जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "देखा जाए तो व्यापक कृषि बीमा योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, उर्वरक अनुदान विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन पैकेज, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना और लागत अनुदान जैसी योजनाएं हैं।"
झा ने इस बात को स्पष्ट किया कि किसानों के लिए शुरू की गई नई योजना पहले से चल रही योजनाओं की कीमत पर नहीं होगी।
उन्होंने कहा, "यह (योजना) किसानों को फसल के सीजन के दौरान उन्हें जरूरत होने वाली चीजें खरीदने में मदद के लिए एक अतिक्ति सहयोग होगी।"
सरकार द्वारा निर्धारित 2021 तक तीन फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, "अगर आप बजट के आंकड़ों को देखें तो किसान आय सहयोग योजना को हटा दिए जाने पर आप पाएंगे कि राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी पर आ गया है।"
उन्होंने कहा, "दरअसल, यह 3.26 फीसदी और उसके करीब रहेगा। हम एक स्पेशल पैकेज के रूप में नई योजना के लिए इस साल 20,000 करोड़ रुपये दे रहे हैं। यह जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का महज 0.1 फीसदी है।"
झा ने कहा कि इसी प्रकार, अगले साल के लिए इस योजना के लिए आवंटित 75,000 करोड़ रुपये की रकम जीडीपी का 0.3 फीसदी होगी। इसको छोड़ दें तो राजकोषीय घाटा 3.1 फीसदी होगा।
अगले साल तक पूर्ण बजट में सामान्य राजस्व उपाय और अतिरिक्त संसाधन जुटाने के कदम उठाए जाएंगे जिनसे कर संग्रह बढ़ेगा।
उन्होंने कहा, "बजट में हमने प्रत्यक्ष कर संग्रह में 15 फीसदी वृद्धि और अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 13 फीसदी वृद्धि का अनुमान रखा है। असल में प्रत्यक्ष कर संग्रह में करीब 17 फीसदी की वृद्धि हो रही है।"
झा ने कहा, "अनुमान है कि अर्थव्यवस्था और अधिक औपचारिक बनेगी और आधार भी बढ़ेगा। इसलिए कर राजस्व में भी वृद्धि होगी।"
उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर के तहत राजस्व भी स्थिर हो गया है और पिछले महीने एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर चला गया है।
उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है किम इसमें अब वृद्धि होगी और लगातार एक लाख करोड़ रुपये के स्तर से ऊपर बनी रहेगी।"


