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ओसाका : चीन-रूस-भारत शिखर वार्ता आयोजित

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 28 जून को जापान के ओसाका में चीन, रूस और भारत के शिखर में भाग लिया

ओसाका : चीन-रूस-भारत शिखर वार्ता आयोजित
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बीजिंग । चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 28 जून को जापान के ओसाका में चीन, रूस और भारत के शिखर वार्ता में भाग लिया। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय स्थिति, अहम अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दे तथा तीनों पक्षों के सहयोग आदि विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। तीनों देशों के नेताओं ने एक स्वर में माना कि चीन-रूस-भारत सहयोग व्यवस्था का अच्छी तरह प्रयोग करते हुए इसका अच्छा विकास किया जाएगा, ताकि क्षेत्रीय यहां तक कि विश्व की शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए ज्यादा बड़ा योगदान दिया जा सके। शी चिनफिंग ने कहा, "वर्तमान में संरक्षणवाद, एकतरफावाद से वैश्विक ढांचे की स्थिरता पर गंभीर रूप से प्रभाव पड़ा है और विश्व आर्थिक वृद्धि में रुकावट आई है। नवोदित बाजार देशों और व्यापक विकासमान देशों पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। चीन, रूस और भारत को अपना अंतर्राष्ट्रीय उत्तरदायित्व उठाते हुए तीनों देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के मूल हितों और दूरगामी हितों की रक्षा करनी चाहिए।"

शी चिनफिंग ने बल देते हुए कहा, "चीन, रूस और भारत को विश्व बहुध्रुवीकरण और अंतर्राष्ट्रीय संबंध के लोकतंत्र को आगे बढ़ाना चाहिए। नवोदित बाजार देशों और विकासमान देशों के बेहतर विकास के अनुकूल खुले विश्व अर्थतंत्र की स्थापना की जाए। 5जी नेटवर्क, उच्च तकनीक, आपसी संपर्क और ऊर्जा आदि क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार किया जाए। वैश्विक और क्षेत्रीय शांति स्थिरता की रक्षा की जाए, सभी प्रकार के आतंकवाद पर समान रूप से हमला किया जाए, जलवायु परिवर्तन और नेटवर्क सुरक्षा आदि वैश्विक चुनौतियों के मुकाबले में सहयोग किया जाए।"

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, "वर्तमान स्थिति में रूस, चीन और भारत को संयुक्त राष्ट्र के कोर वाली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की ²ढ़ता के साथ रक्षा करनी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति की रक्षा करनी चाहिए। एकतरफावाद और संरक्षणवाद का विरोध करना चाहिए।"

भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "बहुपक्षवाद, अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय नियम की रक्षा करना भारत, चीन और रूस तीनों देशों के समान हितों से मेल खाता है। तीनों देशों को वैश्विक शासन में सुधार और क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंक-रोधी आदि क्षेत्रों में संपर्क और समन्वय मजबूत करना चाहिए।"


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