धनीकर पंचायत में नक्सलियों का तांडव, युवक की हत्या और रात भर ग्रामीणों की पिटाई
दंतेवाड़ा ! अपने खिलाफ उठ रहे आवाज से नक्सली इस कदर बौखलाए कि पूरे गांव के गांव पर हमला बोल दिया।

दंतेवाड़ा ! अपने खिलाफ उठ रहे आवाज से नक्सली इस कदर बौखलाए कि पूरे गांव के गांव पर हमला बोल दिया। रात भर गांव में तांडव मचाया, एक युवक की हत्या की और पूरे गांव के ग्रामीणों की पिटाई की। नक्सलियों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले धनीकरका पंचायत के ग्रामीणों को नक्सलियों ने ऐसी सजा दी कि आस पास के गांव वाले दहशत में आ गए हैं। जिस युवक को गांव वालो के सामने नक्सलियों ने गले में फंदा डालकर मार डाला वह युवक पुलिस भर्ती में शामिल होने दंतेवाड़ा आया हुआ था, लेकिन उसकी भर्ती नहीं हो सकी थी। इस गांव के तकरीबन सभी ग्रामीणों की नक्सलियों ने पिटाई की। 8 घायलों को ईलाज के लिए पुलिस अपने साथ लेकर आयी.
कुआकोंडा ब्लाक के धनीकरका पंचायत में बुधवार की रात नक्सल कमांडर जगदीश और मिडक़ुम राजू के साथ 50-60 नक्सली और उनके समर्थक ग्रामीण आ धमके। रात को करीब 11 बजे ग्रामीण सोये हुए थे। हथियारबंद नक्सलियों ने पंचायत के धनीकरका के साथ ही बुड़दीकरका, दोवालीकरका में भी ग्रामीणों के घर में घुस कर उन्हें निकाला। ये वही गांव हैं जहां के ग्रामीणों ने पखवाड़े भर पहले खुद कुआकोंडा थाना पहुंचकर नक्सलियों के खिलाफत की बात कही थी। नक्सलियों ने युवक-युवतियों को घर से निकाला ही, बुजुर्ग महिलाओं को भी नहीं छोड़ा। सभी के हाथ बांधकर दोवालीकरका के आगे जंगल में ले गए और बेदम पिटाई शुरू कर दी। इसी बीच बुड़दीकरका के 26 वर्षीय सामो मंडावी पिता हड़मा को नक्सलियों ने रस्सी से पहले बांधा और गांव वालों के सामने ही पिटना शुरू कर दिया। सामो पुलिस भर्ती के लिए दंतेवाड़ा आया हुआ था, सफल नहीं होने पर दंतेवाड़ा में
ही था और तीन दिन पहले ही बुड़दीकरका पहुंचा हुआ था। नक्सली ग्रामीणों को पिटते हुए धमका रहे थे कि अगर हमारा विरोध किया और पुलिस के पास गए तो ऐसी ही सजा मिलती रहेगी। इसके बाद सामो के गले में रस्सी का फंदा बनाकर डाला गया और दोनों तरफ से नक्सलियों ने कस कर खिंचा जिससे सामो की मौत हो गयी। इस नृशंस हत्या को देखकर ग्रामीण दहशत में आ गए। गुरूवार के दिन भर ग्रामीण घरो में दुबके रहे। मृतक सामो की लाश जंगल में पड़ी रही, लेकिन कोई लाश लेकर आने की हिम्मत नहीं जुटा सका। शुक्रवार की सुबह जब खबरें मीडिया में आयी तो पुलिस भी सक्रिय हुई और बड़ी संख्या में जवान आज सुबह ही धनीकरका पहुंचे और घायल ग्रामीणों तथा मृतक के शव को लेकर कुआकोंडा आए।
आज सुबह गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था। महिलाएं खामोश थीं, पुरूष भी नक्सलियों के तांडव पर सीधे कहने से बचते रहे, लेकिन सभी के चेहरे पर दर्द और दहशत साफ नजर आ रही थी। नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीणों को लामबंद करने का आरोप धनीकरका के शिक्षक बुधराम मरकाम पर लगा, जिसे नक्सलियों ने बुरी तरह पिटा है। उसकी मां के साथ भी पिटाई की गई। वहीं मृतक सामो की मां के दोनों हाथ नक्सलियों ने तोड़ डाले हैं। ईलाज के लिए जिन घायल ग्रामीणों को फोर्स अपने साथ लेकर कुआकोंडा पहुंची उनमें बुधराम, जोगा, राजू, लिंगा मरकाम, सोनाराम, पोदिये आदि शामिल हैं। इन सभी के हाथ-पैर में गहरी चोटें हैं। कुआकोंडा से इन्हें दंतेवाड़ा जिला अस्पताल लाया गया। शव का पोस्टमार्टम कुआकोंडा में हुआ। धनीकरका में नक्सलियों के इस तांडव के बाद उनकी खिलाफत के लिए ग्रामीण सामने आ पायेंगे यह कहना मुश्किल है।
बुड़दीकरका के ग्रामीणों ने 13 जनवरी को कुआकोंडा थाने पहुंचकर नक्सलियों का विरोध करने और विकास में सहभागी बनने का संकल्प जताया था। इसके बाद गढ़मिरी, धनीकरका और हाल ही में बड़ेगुडरा के लोहारपारा के ग्रामीणों ने भी नक्सलियों के खिलाफ आवाज उठाने की बात कही। जिस तेजी से ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ लामबंद हो रहे थे उस गंभीरता के साथ पुलिस ने उनकी सुरक्षा नहीं की। नक्सलियों ने ग्रामीणों को सजा देने अपने समर्थक गांव वालों को साथ लिया। इनमें तेलम टेटम और एटपाल के ग्रामीण शामिल थे। पुलिस इस इलाके में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी और कड़ी कार्रवाई की बात कर रही है, लेकिन दहशत के साये में जी रहे ग्रामीण सदमे में जल्दी उबर पायेंगे यह कहना मुश्किल है। ग्रामीण, नक्सलियो के खिलाफ आवाज उठाते हैं और पुलिस इसे अपनी सफलता बताकर वाहवाही लूट लेती है। सिविक एक्शन सहित कई आयोजनों में पुलिस अफसर गांव पहुंचते हैं और उसके बाद ग्रामीणों की सुरक्षा भगवान भरोसे। ग्रामीण अगर नक्सलियों के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं तो उन्हें सुरक्षा देना भी पुलिस की जिम्मेदारी बनती है, लेकिन धनीकरका के मामले से यह साफ है कि पुलिस अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रही है।
पुलिस भर्ती में शामिल होने आया था युवक
8 घायलों को इलाज के लिए साथ लाई पुलिस


