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बच्चों में विज्ञान प्रतिभाओं की खोज के लिए राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

 बच्चों ने रायपुर में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने जिला समन्वयकों और स्रोत शिक्षकों की एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया

बच्चों में विज्ञान प्रतिभाओं की खोज के लिए राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित
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रायपुर। बच्चों ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने और उनमें छिपी विज्ञान प्रतिभाओं को चिन्हांकित करने के लिए राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने जिला समन्वयकों और स्रोत शिक्षकों की एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया।

यह राज्य स्तरीय कार्यशाला 25वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 2017 के अन्तर्गत स्थानीय प्रो. जे. एन. पाण्डेय शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित की गयी। कार्यशाला में राज्य के 23 जिलों के जिला समन्वयकों और स्रोत शिक्षकों ने हिस्सा लिया। उन्हें छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक और प्रधान मुख्य वनसंरक्षक के.सुब्रमण्यम ने सम्बोधित किया।

उन्होंने बताया कि भारत सरकार की राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा देश भर में 10 वर्ष से 17 वर्ष तक के बच्चों को मंच देने के लिए राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जाता है। बच्चे अपने शिक्षकों, वैज्ञानिकों और कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों आदि के मार्गदर्शन में विभिन्न विषयों में प्रोजेक्ट तैयार करते हैं।

महानिदेशक ने कार्यशाला में विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में नवाचार प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, खाद्य और कृषि, बिजली, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण, जीवन शैली, जीवन यापन, आपदा प्रबंधन, और पारम्परिक ज्ञान जैसे विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 2016 में 27 से 31 दिसंबर की अवधि में विद्या प्रतिष्ठान सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, बारामती (महाराष्ट्र) में पूरे देश से राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत की गई परियोजनाओं में से 15 उत्कृष्ट परियोजनाओं का चयन किया गया इनमें छत्तीसगढ़ राज्य से एन.एच.गोयल वर्ल्ड स्कूल, रायपुर की छात्रा श्रेयल जैन की परियोजना भी शामिल है।

सुब्रमण्यम ने कार्यशाला में जिला समन्वयकों से आग्रह किया कि वे छत्तीसगढ़ के हर जिले से अधिक से अधिक स्कूलों को शामिल करते हुए बच्चों को आकर्षक प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करें। इनमें दिव्यांग बच्चों को भी अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।

कार्यशाला के तकनीकी सत्र में चिन्हित उप-विषयों पर पद्मश्री सम्मानित डॉ. ए.टी. दाबके सहित सुमित सरकार, डॉ. एम. पी. ठाकुर, डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. एस. एस. तोमर, डॉ. अरूणा पलटा, डॉ. पी. एस. बोकारे, डॉ. निनांद बोधनकर, डॉ. मिताश्री मित्रा एवं डॉ. राजेन्द्र मेहता द्वारा विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया गया।

उन्होनें बताया कि इन उप-विषयों पर बच्चों को उनकी दिलचस्पी के अनुसार प्रोजेक्ट बनाने के लिए मार्गदर्शन दिया जा सकता है। कार्यक्रम में राज्य के 23 जिलों के जिला समन्वयक और स्रोत शिक्षक शामिल हुए। कार्यशाला के समापन सत्र में जिला समन्वयकों और स्रोत शिक्षकों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया।


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