कूड़ाघर पर ही बनेगी जैविक खाद
गाजीपुर स्थित सेनेटरी लैंड फिल साईट (एसएलएफ) भर जाने के चलते कचरा निस्तारण की समस्या से जूझ रहे पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने स्थानीय स्तर पर ही कचरा निपटाने की योजना बनाई है
नई दिल्ली। गाजीपुर स्थित सेनेटरी लैंड फिल साईट (एसएलएफ) भर जाने के चलते कचरा निस्तारण की समस्या से जूझ रहे पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने स्थानीय स्तर पर ही कचरा निपटाने की योजना बनाई है। इसके तहत कचरे को अलग करके गैस और खाद बनाई जाएगी। इस प्रक्रिया से जहां एसएलएफ पर भेजे जाने वाले कचरे में कमी आएगी। वहीं, ट्रकों की आवाजाही कम होने से किराया राशि और वायु प्रदुषण में भी कमी आएगी।
इस योजना के लिए यमुना विहार, ईस्ट ऑफ लोनी रोड फ्लैट्स और दिलशाद गार्डन पॉकेट ए का चयन किया गया है।
निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एक पायलट परियोजना है जिसमें फिलहाल तीन इलाकों को शामिल किया गया है। इन इलाकों से रोजाना करीब 52 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। जिसे घर-घर जाकर उठाया जाएगा। कचरे को इकठ्ठा करके नजदीकी डलाव (बड़े कूड़ाघर) पर ले जाया जाएगा। जहां, छोटे-छोटे संयंत्र लगाए जाएंगे।
इन संयंत्रों में जैविक कचरे (बायो डिग्रेडेबल) से कंपोस्ट खाद बनाने के साथ मीथेन गैस भी एकत्र की जा सकेगी। जबकि शेष कचरा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में भेजा जाएगा जहां इससे बिजली बनाई जाएगी।
जानकारी के मुताबिक यमुना विहार वार्ड इलाके से 50 मीट्रिक टन, पूर्वी लोनी रोड आवासीय फ्लैट्स परिसर से एक मीट्रिक टन और दिलशाद गार्डन पॉकेट-ए फ्लैट्स से भी करीब एक मीट्रिक टन कचरा रोजाना निकलता है। जिसके निपटान की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को सात साल के लिए दी गई है। परियोजना सफल होने पर इसे सभी वार्डों में लागू किया जाएगा।
गौरतलब है कि पूर्वी दिल्ली के 64 वार्डों से रोजाना करीब 2500 मीट्रिक टन कचरा निकलता है जिसे ट्रकों के जरिये गाज़ीपुर एसएलएफ पर भेजा जाता है। जहां पिछले 33 सालों के दौरान 140 लाख टन कूड़ा-कचरा फेंका जा चुका है। आज ये कचरा एक बड़े पहाड़ का रूप ले चुका है।
गाहे -बगाहे इस पहाड़ में आग लगने की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं लेकिन कूड़े-कचरे का फेंका जाना अब भी जारी है। करीब 70 एकड़ क्षेत्रफल में स्थापित एसएलएफ की स्थापना साल 1984 में की गई थी।


