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देश में जैविक मछली पालन की हुई शुरुआत

विदेश खासकर यूरोपीय देशों में जैविक मछली की मांग को पूरा करने तथा किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से देश में जैविक मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए स्विटजरलैंड की एक कम्पनी के साथ करार किया गया

देश में जैविक मछली पालन की हुई शुरुआत
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नयी दिल्ली। विदेश खासकर यूरोपीय देशों में जैविक मछली की मांग को पूरा करने तथा किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से देश में जैविक मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए स्विटजरलैंड की एक कम्पनी के साथ करार किया गया है।

देश के समुद्र तटीय इलाकों में जैविक मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए खुदरा और थोक कारोबार करने वाली काप काेआपरेटिव और समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के बीच यह करार हुआ है। आरंभ में पायलट परियोजना के तहत केरल में इसकी शुरुआत की जायेगी और सफल होने पर इसका विस्तार किया जायेगा। केरल में लगभग एक हजार हेक्टेयर में झींगा मछली की ब्लैक टाइगर किस्म का पालन किया जायेगा। विश्व बाजार में झींगा की इस किस्म की काफी मांग है।

केरल में बैकवाटर का विशाल क्षेत्र है और यहां की जलवायु जैविक मत्स्य पालन के लिए उपयुक्त है। समुद्र में ज्वार आने पर निचले क्षेत्रों में समुद्री पानी फैल जाता है जो जमा रहता है। पहले व्यावसायिक तरीके से इस भूभाग का उपयोग नहीं हो पाता था लेकिन अब बैकवाटर में यह संभव हो सकेगा ।

इस समझौते के तहत काप कोअपरेटिव जैविक झींगा मछली के बीज के उत्पादन के लिए हैचरी के प्रमाणीकरण की सुविधा उपलब्ध करायेगा। जैविक मत्स्य पालन के लिए विशेष तरह के खाद्य पदार्थ की जरुरत होती है ऐसे में कार्बनिक भोजन तैयार करने के लिए एक छोटे स्तर के फीड मिल की स्थापना भी की जायेगी। इसके साथ ही किसानों को नयी विधि से मत्स्य पालन का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा ।

यूरोपीय देशों में 2200 से अधिक आउटलेट चलाने वाली काप कोआपरेटिव इससे पहले वियतनाम में जैविक मत्स्य पालन करा चुकी है और इससे वहां के किसान लाभान्वित भी हुए हैं। यहां परम्परागत ढंग से मछली पालन करने वाले किसानों की तुलना में जैविक मत्स्य पालन करने वालों को अधिक आमदनी हो रही है।

प्राधिकरण के अध्यक्ष ए जयतिलक के अनुसार जैविक विधि से मछली पालन की लागत अधिक होने के कारण बहुत से किसान इसमें संकोच करते हैं। करार के कारण किसानों को साधारण मछलियों की तुलना में अधिक मूल्य मिलेगा और इससे मत्स्य पालकों को प्रोत्साहन मिलेगा।

काप कोअपरेटिव का मानना है कि वियतनाम का उसका अनुभव रहा है कि सामान्य ढंग से मछली पालन की तुलना में जैविक मछली का उत्पादन शुरू में कम होता है लेकिन लम्बी अवधि के लिए यह बहुत ही उपयुक्त है। गहन खेती की तुलना में इसमें कम जोखिम है।

उल्लेखनीय है कि यूरोप में जैविक उत्पादों को लेकर जागरुकता बढ़ रही है और वहां के लोग गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं को अच्छी कीमत देने के लिए तैयार भी रहते हैं। वहां जैविक उत्पादों का बड़ा बाजार है और भारतीय किसान तथा उद्योग इसका लाभ ले सकते हैं।

दुनिया के सभी प्रमुख देशों में भारतीय झींगा का निर्यात किया जाता है और भारत चीन के बाद सी फूड का सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्ष 2016 ..17 के दौरान देश से 11 लाख 34 हजार 948 टन सी फूड का निर्यात किया गया था। झींगा और फ्रोजन फिश के निर्यात से 37 हजार 870 करोड़ रुपये की आय हुयी थी।


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