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लोकपाल संबंधित कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जाए: मल्लिकार्जुन खड़गे

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष को महत्व देने पर बल देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फिर अनुरोध किया है

लोकपाल संबंधित कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जाए: मल्लिकार्जुन खड़गे
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नयी दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष को महत्व देने पर बल देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फिर अनुरोध किया है कि इसके लिए संबंधित कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जाए।

खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी को आज लिखे एक पत्र में कहा है कि अगर सरकार वास्तव में लोकपाल की उसके वास्तविक अर्थों में नियुक्त करना चाहती है तो उसे नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष के मत को महत्व देना होगा। इसके लिए लोकपाल अधिनयम 2013 में संशोधन कर चयन समिति में सदस्य के तौर पर ‘लोकसभा में विपक्ष के नेता’ के स्थान पर ‘सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता’ का प्रावधान करना चाहिए।

खरगे ने लोकपाल की नियुक्ति संबंधी ‘चयन समिति’ की गत एक मार्च को बुलाई गयी बैठक में शामिल होने से इंकार करते हुए भी इसी तरह का पत्र उस समय प्रधानमंत्री को लिखा था।

उन्होंने कहा था कि उन्हें बैठक में ‘विशेष आमंत्रित’ के तौर पर बुलाया गया है और इस नाते उन्हें बैठक में अपनी राय दर्ज कराने तथा वोट का अधिकार नहीं होगा इसलिए उनका इसमें शामिल होना निरर्थक होगा।

कांग्रेस नेता ने आज भेजे पत्र में अपने पिछले पत्र का उल्लेख करते हुए इस बात पर निराशा जतायी है कि उनके उस पत्र का कोई पत्र जवाब नहीं दिया गया आैर न ही उनमें व्यक्त चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठाए गये। उस पत्र में भी उन्होंने लोकपाल अधिनियम में संशोधन करने के लिए अध्यादेश लाने का अनुरोध किया था।

उन्होेंने कहा कि सरकार को एक बार फिर सुझाव देना चाहते हैं कि सरकार लोकपाल की नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष की आवाज को महत्व देने के लिए संबंधित कानून में अध्यादेश के माध्यम से जरुरी संशोधन करे।

उन्होेंने लिखा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के निदेशक की नियुक्ति संबंधी चयन समिति के लिए ऐसा प्रावधान किया जा चुका है, जिससे लाेकपाल मामले में सरकार का दोहरा मापदंड जाहिर होता है।सरकार वास्तव में लोकपाल की सही ढंग से नियुक्ति करना चाहती तो वह संसद के पिछले सत्र में कानून में संशोधन कर सकती थी।


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