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अध्यादेश विवाद : दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर लाए गए अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

अध्यादेश विवाद : दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर लाए गए अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर सोमवार को केंद्र से जवाब मांगा।


मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने निर्देश दिया कि इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल को भी एक पक्ष के रूप में जोड़ा जाएगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 17 जुलाई को अध्यादेश पर अंतरिम रोक के साथ-साथ दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त 400 से अधिक सलाहकारों को बर्खास्त करने के एलजी के फैसले पर विचार करेगी।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा दायर याचिका पर कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।

इससे पहले बुधवार को, दिल्ली सरकार के सेवा विभाग ने एक निर्देश जारी किया, जिसमें सभी विभागों को सलाहकारों की नियुक्ति को रोकने का निर्देश दिया गया। आदेश में कहा गया है कि अब उपराज्यपाल से इज़ाज़त लिए बिना नियुक्तियां नहीं की जा सकती।

केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश लाया था। यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं पर निर्वाचित सरकार को नियंत्रण देने के बाद लाया गया था।

इसके बाद, दिल्ली की आप सरकार ने अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कहा कि यह संविधान का उल्लंघन करता है और स्पष्ट रूप से मनमाना है, और तत्काल रोक की मांग की थी।

20 मई को, केंद्र ने भी 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।


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