पटवारी सहित 3 के विरूद्ध धोखाधड़ी व कूटरचना का जुर्म दर्ज करने का आदेश
जमीन की खरीदी करने के बाद उक्त भूमि दूसरे व्यक्ति के नाम दर्ज होना पाये जाने पर पीड़ित के द्वारा न्यायालय में दायर किए गए परिवाद को न्यायालय ने स्वीकार किया

कोरबा। जमीन की खरीदी करने के बाद उक्त भूमि दूसरे व्यक्ति के नाम दर्ज होना पाये जाने पर पीड़ित के द्वारा न्यायालय में दायर किए गए परिवाद को न्यायालय ने स्वीकार किया है। हलका पटवारी सहित छल पूर्वक जमीन बेचने वाले भू- स्वामी और खरीदने वाले के विरूद्ध धोखाधड़ी व कूटरचना का जुर्म दर्ज करने का आदेश दीपका पुलिस को दिया गया है।
जानकारी के अनुसार दीपका थानांतर्गत ग्राम विजयनगर जुनाडीह निवासी दहराज सिंह पिता कुंजराम कंवर 49 वर्ष ने न्यायिक मजिस्टे्रट प्रथम श्रेणी, कटघोरा के समक्ष अपने अधिवक्ता शिवचरण चौहान के जरिए धारा 156 (3) दंप्रसं के तहत परिवाद पेश किया था। इसके मुताबिक दहराज सिंह ने पटवारी हलका नंबर 21 तहसील कटघोरा में खसरा नंबर 240/2 रकबा 1.61/0.652 हेक्टेयर भूमि सूराज सिंह पिता थान सिंह कंवर ग्राम बतारी से 23 अप्रैल 2004 को क्रय किया था। विधिवत नामांतरण 22 अगस्त 2007 को हुआ और ऋण पुस्तिका भी जारी की गई।
जमीन के राजस्व अभिलेख की आवश्यकता पर कटघोरा तहसीलदार कार्यालय से दस्तावेज चाहा तो पता चला कि वह जमीन उसके नाम पर न होकर महेन्दर सिंह पिता ठाकुर सिंह सिरका निवासी राताखार, हाल मुकाम नेहरूनगर बतारी, दीपका के नाम पर दर्ज मिली। छल पूर्वक फर्जी 22 कॉलम फार्म व अन्य दस्तावेजों की कूटरचना कर इसके आधार पर 26 अगस्त 2009 को उप पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्री करा लिया गया। परिवादी दहराज सिंह ने इसकी शिकायत दीपका थाना में की व कार्रवाई न होने पर पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया। कार्रवाई के अभाव में परिवाद दायर किया जिस पर न्यायाधीश ने विचारण करते हुए परिवाद को स्वीकार किया। साथ ही आदेश जारी किया गया है कि परिवाद की प्रति उपलब्ध कराये जाने पर दीपका थाना प्रभारी द्वारा आरोपी सूराज सिंह, महेन्दर सिंह एवं हलका पटवारी प्रशांत दुबे के विरूद्ध धारा 420, 467, 468, 471, 34 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना की जाए। एफआईआर की प्रति न्यायालय में प्रस्तुत करने तथा अन्वेषण पश्चात अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए।


