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ओरछा का लाडपुराखास ''बेस्ट टूरिज्म विलेज'' अवार्ड के लिए नामांकित

बुंदेलखंड की अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा के लाड़पुराखास गांव को यूनाइटेड नेशंस वल्र्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन अवार्ड की बेस्ट टूरिज्म विलेज श्रेणी के लिए नामांकित किया गया है

ओरछा का लाडपुराखास बेस्ट टूरिज्म विलेज अवार्ड के लिए नामांकित
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भोपाल। बुंदेलखंड की अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा के लाड़पुराखास गांव को यूनाइटेड नेशंस वल्र्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन अवार्ड की बेस्ट टूरिज्म विलेज श्रेणी के लिए नामांकित किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस उपलब्धि के लिए पर्यटन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी है। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय ने ओरछा के ग्राम लाडपुराखास को बेस्ट टूरिज्म विलेज हेतु नामांकित है। इसके साथ ही दो अन्य ग्राम मेघालय और तेलंगाना से नामांकित किये गए हैं। पर्यटन के क्षेत्र में नये आयाम जोड़ते हुये ग्रामीण पर्यटन की अवधारणा को मूर्तरूप देने के उद्देश्य से ग्रामीण पर्यटन परियोजना प्रारंभ की गई है। अगले पाँच वर्षों में 100 गाँवों को ग्रामीण पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इनमें ओरछा, खजुराहो, मांडू, साँची, पचमढ़ी, तामिया, पन्ना नेशनल पार्क, बांधवगढ़ नेशनल पार्क, संजय दुबरी नेशनल पार्क, पेंच एवं कान्हा नेशनल पार्क, मितावली, पड़ावली आदि क्षेत्रों में उपयुक्त स्थलों का चयन कर विकास किया जायेगा।

शुक्ला ने बताया कि ग्रामीण पर्यटन परियोजना के अंतर्गत छह मुख्य घटकों, जिसमें क्षेत्रीय पर्यटन आधारित गतिविधियाँ, पर्यटकों के ठहरने के लिए सुविधाजनक आवास, होम-स्टे, परंपरागत एवं स्थानीय भोजन, सांस्कृतिक अनुभव, कला एवं हस्तकला तथा युवाओं में कौशल उन्नयन पर कार्य किया जा रहा है। स्थानीय समुदाय को अपने क्षेत्र में पर्यटन के विकास से सीधा लाभ प्राप्त होगा। टूरिज्म बोर्ड समुदाय की भागीदारी से पर्यटन उत्पादों को विकसित करने का प्रशिक्षण भी दे रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओरछा के ग्राम लाडपुराखास नामांकित किए जाने पर पर्यटन विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश के लिये गौरव की बात है। हमारा प्रदेश नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य के साथ अद्भुत स्थापत्य कला का धनी प्रदेश है। अब पर्यटन सिर्फ मनोरंजन ही नहीं बल्कि रोजगार, स्थानीय संस्कृति, खान-पान, कला और स्थापत्य कला का केंद्र-बिंदु भी बनकर उभरा है।


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