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ईआईए पर विपक्ष का रवैया ठीक नहीं : जावडेकर

ईआईए नियमों में प्रस्तावित बदलावों की पर्यावरणविदों के साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी जमकर आलोचना कर रही है।

ईआईए पर विपक्ष का रवैया ठीक नहीं : जावडेकर
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नयी दिल्ली । पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) नियमों में संशोधन के प्रारूप पर विपक्ष की आलोचनाओं के बीच पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज कहा कि अभी संशोधन का अंतिम मसौदा तैयार नहीं हुआ है और इसलिए इसको लेकर आंदोलन का विपक्ष का रवैया ठीक नहीं है।

श्री जावडेकर ने यहाँ एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा “कुछ लोग इतने उतावले हो गये हैं कि उन्होंने अभी आंदोलन करने का आह्वान कर दिया है। अभी तो यह प्रारूप है। अभी ये जो सुझाव आये हैं। उन पर विचार होगा। उसके बाद अंतिम मसौदा तैयार होगा। किसी को कुछ प्रतिक्रिया भी देनी है तो तब देना उचित है। दूसरा कुछ कार्यक्रम नहीं है तो चलो यहाँ आंदोलन करो, इस तरह का रवैया अच्छा नहीं है।”

ईआईए नियमों में प्रस्तावित बदलावों की पर्यावरणविदों के साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी जमकर आलोचना कर रही है। पूर्व पर्यावरण मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश दो बार श्री जावडेकर को इस संबंध में पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जता चुके हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी रविवार को इस पर सरकार को आड़े हाथों लिया था। विपक्ष का आरोप है कि सरकार पूँजीपतियों को फायदा पहुँचाने के लिए पर्यावरण मंजूरी संबंधी नियमों में ढील देकर पर्यावरण से खिलवाड़ कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने श्री रमेश के पत्र का विस्तारपूर्वक उत्तर दिया है। संशोधन के प्रस्ताव पर सुझाव देने का समय रविवार को समाप्त हुआ है। अब सुझावों पर विचार होगा। विचार के बाद सरकार क्या बदलाव करती है और कैसा प्रारूप लाती है यह जनता के सामने आयेगा। तब प्रतिक्रिया देना उचित है। आज यह जल्दबाजी है।


श्री जावडेकर ने कहा कि अधिसूचना के प्रारूप पर हजारों लोगों ने अपनी राय दी है। नियम है कि 60 दिन जनसुझाव के लिए रखा जाता है, लेकिन कोविड-19 के चलते तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया गया। कुल 150 दिन दिये गये। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जब वह सत्ता में थी तो उन्होंने “जनता को पूछे बिना” ही ईआईए में बहुत सारे ऐसे बदलाव किये थे जो आज प्रस्तावित संशोधन का हिस्सा हैं।

प्रस्तावित संशोधनों के लागू होने पर कुछ श्रेणी की परियोजनाओं को निर्माण कार्य शुरू करने के लिए पर्यावरणीय मंजूरी का इंतजार नहीं करना होगा। साथ ही जनता की आपत्तियाँ सुनने के लिए समय सीमा कम हो जायेगी। इसमें प्रस्ताव है कि अब एक बार मिलने वाली पर्यावरण मंजूरी सीधे 10 साल के लिए मान्य होगी। अभी सात साल के लिए मंजूरी मिलती है जिसे तीन साल और बढ़ाने का विकल्प होता है।


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