Top
Begin typing your search above and press return to search.

विपक्ष का “मीरा स्ट्रोक” : क्या है मोदी, नीतीश और मायावती की परेशानी

विपक्ष के इस दावं ने जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी हैं वहीं दलित राजनीति की चैंपियन मायावती और प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी मीरा कुमार परेशानी का सबब बनी हैं

विपक्ष का “मीरा स्ट्रोक” : क्या है मोदी, नीतीश और मायावती की परेशानी
X

अमलेन्दु उपाध्याय

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस की मीरा कुमार के उतरने से संख्या बल के लिहाज से तो अभी भाजपा प्रत्याशी रामनाथ कोविंद पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा, लेकिन विपक्ष के इस दावं ने जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी हैं वहीं दलित राजनीति की चैंपियन मायावती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी मीरा कुमार परेशानी का सबब बन गई हैं।

यह बात कांग्रेस और साझा विपक्ष भी जानता है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा जोड़-तोड़ में माहिर है और वैसे भी नीतीश-मुलायम जैसे तथाकथित समाजवादियों के रहते मीरा कुमार की जीत कठिन है, लेकिन इस एक कदम के जरिए कांग्रेस ने संकेत दे दिए हैं कि मीडिया के जरिए 2019 के लिए जिस तरह से मोदी के लिए रास्ता साफ किया जा रहा था, उसमें विपक्ष ने काँटे बो दिए हैं और अब मोदी के लिए लड़ाई एकतरफा नहीं रह गयी है।

कौन हैं मीरा कुमार

मीरा कुमार पूर्व रक्षा मंत्री स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी बाबू जवनीवन राम की बेटी हैं। बाबू जवनीवन राम को महात्मा गांधी, पं. नेहरू, इंदिरा गांधी जैसे दिग्गजों के साथ काम करने का लंबा अनुभव रहा।

मीरा कुमार भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी रहीं। उन्होंने लोकसभा में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार का प्रतिनिधित्व लोकसभा में किया।

मीरा के आने से क्या है मोदी की परेशानी का सबब ?

मीरा कुमार के सामने आने से सबसे ज्यादा परेशानी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही महसूस कर रहे हैं।

दरअसल अगर मीरा कुमार अगर हार भी जाती हैं (जो लगभग तय है), तो भी 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में साझा विपक्ष ने लड़ाई की दिशा तय कर दी है।

मोदी के उत्थान में उत्तर प्रदेश और बिहार का महत्वपूर्ण योगदान है, जहां मोदी ने विगत लोकसभा चुनाव में स्वयं को वंचित जाति का घोषित कर चुनाव जीता था। अब 2019 में बाजी पलट जाएगी। 2019 में मीरा कुमार के सामने मोदी की जाति नहीं चलेगी और बिहार में तो मीरा कुमार दलित व बिहारी दोनों होंगी।

जाहिर है 2019 में मोदी को यूपी-बिहार में तगड़ा झटका लगने वाला है, जिसकी भरपाई भाजपा कहां से करेगी, न उसे मालूम है, न हमें।

यही कारण है कि सोशल मीडिया पर भाजपा के ट्रोल्स अब मीरा कुमार को ओबीसी से शादी करने के कारण ब्राह्मण बता रहे हैं।

पर नीतीश क्यों हैं परेशान ?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परेशानी भी मीरा कुमार के कारण बढ़ी ही है।

दरअसल नीतीश कुमार 2019 में स्वयं को मोदी के मुकाबले विपक्ष का चेहरा समझे बैठे थे, लेकिन उनकी विश्वसनीयता नहीं थी। मीरा कुमार के सामने आने से उनके लिए संदेश मिल गया है कि 2019 में नीतीश विपक्ष का चेहरा नहीं होंगे और नीतीश के लिए 2019 “अभी नहीं तो कभी नहीं” वाली स्थिति है। जाहिर है मीरा कुमार के सामने नीतीश का कद बहुत बौना हो गया है।

मायावती क्यों हैं परेशान?

रामनाथ कोविंद के भाजपा प्रत्याशी घोषित होते ही मायावती पहली राजनेता थीं जिन्होंने विपक्ष की ओर से दलित प्रत्याशी की मांग की थी। लेकिन मीरा कुमार के देश के सर्वोच्च पद के लिए विपक्ष का चेहरा बनने पर मायावती भी अंदर ही अंदर असुरक्षित महसूस कर रही हैं। कारण साफ है, मीराकुमार के कद के आगे मायावती की चमक फीकी पड़ जाएगी। जाहिर है 2019 में कांग्रेस मीरा कुमार का चित्र टांगकर जब मैदान में उतरेगी तो स्पेस मायावती का भी सिकुड़ेगा, क्योंकि मायावती ने जिस स्पेस पर कब्जा पर किया है वह स्पेस मीरा कुमार के पिता स्व. बाबू जगजीनराम का छोड़ा हुआ था, जिसे भरने के लिए कांग्रेस ने अब मीरा कुमार को आगे कर दिया है। बाबू जगजीवन राम ने जिस स्पेस को खाली किया था उस स्पेस को कांग्रेस समय रहते नहीं भर पाई, जिसे कांशीराम की आक्रामक दलित अस्मिता की राजनीति ने भरा। लेकिन कांशीराम के अवसान के बाद मायावती वह धार बरकरार नहीं रख पायीं। और अब जाकर देश भर में दलितों में एक रैडिकल नेतृत्व उभर रहा है। गुजरात के उना में दलितों का गाय विरोधी आंदोलन हो या रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद देश भर में उठा छात्र-युवा आंदोलन अथवा हाल ही का सहारनपुर का भीम आर्मी का आंदोलन, सभी ने मायावती की राजनीति पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए हैं। यही कारण है कि जिन मायावती ने रामनाथ कोविंद की जाति बताने में तनिक देर नहीं की थी, वे मीराकुमार पर खामोशी लगा गईं।

इसलिए अंदर से मायावती का बेचैन होना भी जायज है।

बहरहाल मीरा कुमार हारें या जीतें, 2019 के लिए साझा विपक्ष ने एक लंबी लकीर खींच दी है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it