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राफेल सौदे को लेकर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा 

कांग्रेस सदस्यों के राफेल सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) गठित करने की मांग और समाजवादी पार्टी के सदस्याें के देवरिया बालिक गृह में बालिकाओं के यौन शोषण काे लेकर हंगामा करने के कारण आ

राफेल सौदे को लेकर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा 
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नयी दिल्ली। कांग्रेस सदस्यों के राफेल सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) गठित करने की मांग और समाजवादी पार्टी के सदस्याें के देवरिया बालिक गृह में बालिकाओं के यौन शोषण काे लेकर हंगामा करने के कारण आज राज्यसभा में प्रश्नकाल नहीं हो सका और कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।

शून्यकाल के दौरान भी इन मुद्दों पर शोर शराबा के कारण सदन की कार्यवाही करीब पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी थी। सभापति एम वेंकैया नायडु ने जैसे ही प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू की वैसे ही कांग्रेस के सदस्य जेपीसी गठित करने की अपनी मांग को लेकर सीट से आगे निकल गये और नारेबाजी करने लगे। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के सदस्य भी देवरिया मामले को लेकर नारेबाजी करते हुये चर्चा कराने की मांग करने लगे।

सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि केरल में बाढ़ से 22 लोगों की मौत हो गयी है और केरल के सदस्य इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी बात रखना चाह रहे हैं लेकिन हंगामे के कारण वे अपनी बात नहीं कह पाये हैं।

हंगामा कर रहे सदस्यों से उन्होंने प्रश्नकाल चलने देने की अपील की लेकिन उनके शांत नहीं होने पर सभापति ने कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले शून्य काल के दौरान सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नवी आजाद ने राफेल विमान सौदा को विश्व का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए कहा कि विपक्ष को इस लड़ाकू विमान सौदे को लेकर संदेह है इसलिए इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) से जांच करायी जानी चाहिए। इस मुद्दे पर सदन में अल्पकालिक चर्चा करायी जानी चाहिए।

आजाद ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मनमोहन सिंह की सरकार तक विपक्ष को किसी मामले में संदेह होने पर जेपीसी का गठन किया गया था। उन्होंने कहा कि इस सत्र के दौरान विपक्ष के एक भी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव या अल्पकालिक चर्चा पर बहस नहीं करायी गयी है। राफेल विमान सौदे पर अल्पकालिक चर्चा करायी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि परम्परा रही है कि संसद सत्र के दौरान हरेक सप्ताह दो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और एक अल्पकालिक चर्चा पर बहस होती है तथा इसमें से 90 प्रतिशत हिस्सा विपक्ष को मिलता है। विपक्ष को सरकार के समक्ष गंभीर मुद्दों को उठाने और उसका समाधान करने का यह एक मात्र फाेरम है। उन्होंने कहा कि पहले आम तौर पर संसद सत्र सवा महीने का होता था जो इस सत्र में घटकर 14 दिन का हो गया है। उन्होंने सरकार से शीतकालीन सत्र सवा महीने का करने का अनुरोध किया।


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