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विपक्षी दलों के नेता बजट पेश न करने की मांग को लेकर चुनाव आयोग पहुंचे

 उत्तरप्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा के बाद 2017-18 के आम बजट पेश न करने की मांग को लेकर कांग्रेस समेत विपक्ष ने अपनी मुहिम तेज कर दी है।

विपक्षी दलों के नेता बजट पेश न करने की मांग को लेकर चुनाव आयोग पहुंचे
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नयी दिल्ली। उत्तरप्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा के बाद 2017-18 के आम बजट पेश न करने की मांग को लेकर कांग्रेस समेत विपक्ष ने अपनी मुहिम तेज कर दी है। कांग्रेस, द्रमुक, जनता दल-यू, राष्ट्रीय लोकदल और तृणमूल कांग्रेस के नेता अपनी इस मांग को लेकर आज चुनाव आयोग के द्वार पहुंचे।

विपक्ष की मांग है कि बजट पांच विधानसभा चुनावों के सम्पन्न हो जाने के बाद पेश किया जाये। नरेन्द्र मोदी सरकार में सहयोगी शिव सेना ने भी विपक्ष की इस मांग में सुर से सुर मिलाया है। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने के लिए कल तारीखों की घोषणा की थी।

पांच राज्यों की 690 विधानसभा सीटों पर मतदान चार फरवरी से लेकर आठ मार्च के बीच होंगे। ग्यारह मार्च को परिणाम घोषित किये जायेंगे। मोदी की सरकार ने फरवरी के आखिर में बजट पेश करने परम्परा को खत्म करते हुए एक फरवरी को इसे प्रस्तुत करने के लिए संसद का सत्र 31 जनवरी से 9 जनवरी तक आहूत किया है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता और प्रतिनिधिमंडल की अगुआई कर रहे कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा “हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि एक फरवरी को बजट पेश करने पर रोक लगाई जाये।

सरकार यदि 31 जनवरी से संसद का सत्र बुलाती है तो इस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है किंतु आठ मार्च को मतदान हो जाने के बाद ही आम बजट पेश किया जाये जिससे कि सरकार को मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई लोकलुभावन घोषणा करने का अवसर नहीं मिले।” प्रतिनिधिमंडल में आजाद के अलावा कांग्रेस के आनंद शर्मा, अहमद पटेल, समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल, जनता जद यूनाइटेड के के सी त्यागी ,तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, डेरेक ओब्रायन आदि शामिल थे।

आजाद ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल की बातों को आयोग ने ध्यानपूर्वक सुना और विचारकरने का आश्वासन दिया है। उनका कहना है कि आयोग अगर विपक्ष की बजट टालने की मांग स्वीकार नहीं करता है तो चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे।

आजाद ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे एक पत्र में कल कहा था कि मतदान से पहले बजट पेश किये जाने को लेकर विपक्षी दल सामूहिक रूप से चिंतित हैं और उनका मानना है कि सरकार वोटरों को रिझाने के लिए लोकप्रिय घोषणाएं कर सकती है। ऐसा होने पर सत्तारूढ़ दल को अनावश्यक लाभ मिलेगा और स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव भी नहीं हो सकेगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कल तिथियों की घोषणा करने के समय इस संबंध में पूछे गये सवाल पर कहा था कि वह विपक्ष से मिले अभ्यावेदनों की जांच करेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल राज्य के वित्तमंत्रियों की बजट पूर्व बैठक बुलाई थी। इस बैठक में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने अपनी बात रखने के बाद बायकाट कर दिया था।

जेटली ने सरकार के बजट एक फरवरी को पेश करने के सवाल पर कहा है कि राजनीतिक दलों का यह दावा कि नोटबंदी केन्द्र का एक अलोकप्रिय निर्णय था तो उन्हें अब बजट पेश करने से भय क्यों लग रहा है।

वामदल भी चुनाव से पहले बजट पेश करने को लेकर सहमत नहीं हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि एक फरवरी को बजट पेश करना ठीक नहीं होगा। उनका तर्क है कि एक फरवरी को बजट पेश करने पर केवल दो तिमाही के ही सकल घरेलू उत्पाद के आंकडों को शामिल किया जा सकेगा। फेसबुक पोस्ट में येचुरी ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि मतदान से पहले बजट पेश करने की अनुमति नहीं दी जाये।


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