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नियम संशोधन पर विपक्ष ने जताया ऐतराज

दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने विधानसभा के 'प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम' के प्रकाशित नवीनतम संस्करण में विभाग संबंधित स्थायी समितियों पर उपराज्यपाल के स्पष्ट और सशक्त परामर्श को नजरअंदाज करने पर

नियम संशोधन पर विपक्ष ने जताया ऐतराज
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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने विधानसभा के 'प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम' के प्रकाशित नवीनतम संस्करण में विभाग संबंधित स्थायी समितियों पर उपराज्यपाल के स्पष्ट और सशक्त परामर्श को नजरअंदाज करने पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने पत्र लिख कर इसे एक उल्लंघन बताते कहा कि उपराज्यपाल ने 17 सितम्बर, 2017 को विधानसभा को संदेश भेजकर विधानसभा सदस्यों को विभाग संबंधित स्थायी समितियों को लेकर स्पष्ट और सशक्त परामर्श दिया था।

गुप्ता ने लिखा कि विधानसभा द्वारा उनके परामर्श का यह उल्लंघन एक गम्भीर मामला है, क्योंकि विधानसभा उनकी सलाह को स्वीकारने के लिए बाध्य है। इसके साथ ही विधानसभा द्वारा ये संशोधन भारत की संवैधानिक संस्थाओं तथा लोकसभा के नियमों का भी स्पष्ट उल्लंघन है।

विधानसभा द्वारा उक्त समितियों को असंवैधानिक शक्तियां दी गई हैं। अब विधानसभा की नियम पुस्तिका में सम्मिलित कर इन्हें जो मान्यता दी है वह संविधान तथा विधान सभा के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सचिव ने उक्त पुस्तक की प्रस्तावना में दिल्ली विधान सभा द्वारा किए गए संशोधनों को सही ठहराया है।

उन्होंने बताया कि गंभीर विषयों को ध्यान में रखते हुए उपराज्यपाल ने दिल्ली विधानसभा नियमों के अनुच्छेद 33 में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने 17 जुलाई, 2017 को गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर नियम में इस आशय के संशोधन का सुझाव दिया था कि विधानसभा कोई ऐसे नियम नहीं बनाएगी जो उसे अथवा उस कमेटी को ऐसी शक्तियां प्रदान करे जो उन्हें सरकार के रोजमर्रा के कामों में दखलअंदाजी की शक्तियां प्रदान करें, अथवा प्रशासनिक निर्णयों की जांच करने की शक्ति प्रदान करे।

न तो विधानसभा कोई ऐसे नियम नहीं बनाएगी जिससे उसे लोकसभा अथवा उसकी समितियों में निहित शक्तियों से अधिक शक्ति प्रदान करते हों। लेकिन उपराज्यपाल की सलाह के विरुद्ध अनुच्छेद 244क में समितियों का गठन, 244ख में समितियों के कार्य, 244ग में सामान्य नियमों की उपयुक्तता को संशोधन कर शामिल किया है।

इससे इन समितियों को लोकसभा की समितियों से भी ज्यादा अधिकार व शक्तियां प्रदान की गई हैं। इनका कोई संवैधानिक अस्तित्व नहीं है। गुप्ता ने उपराज्यपाल से अनुरोध किया कि वे नियमों उल्लंघन का संज्ञान लें और विधान सभा को सलाह दें कि वह नियमानुसार कार्यवाही कर सभी नियमों को नियमित करे।


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