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राज्यसभा में विपक्ष ने उठाया मणिपुर का मुद्दा, सत्ता पक्ष ने की राजस्थान पर चर्चा की मांग

राज्यसभा में एक बार फिर मणिपुर हिंसा को लेकर जोरदार हंगामा हुआ जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन से जुड़े विपक्षी दल मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे थे।

राज्यसभा में विपक्ष ने उठाया मणिपुर का मुद्दा, सत्ता पक्ष ने की राजस्थान पर चर्चा की मांग
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नई दिल्ली । राज्यसभा में एक बार फिर मणिपुर हिंसा को लेकर जोरदार हंगामा हुआ जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन से जुड़े विपक्षी दल मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे थे। वहीं भाजपा ने राज्यसभा में राजस्थान को लेकर चर्चा की मांग रखी।

विपक्ष ने सदन में 'मणिपुर मणिपुर' के नारे लगाए और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।

कांग्रेस समेत विपक्ष के कई सांसदों ने मणिपुर पर चर्चा के लिए सभापति को नोटिस दिया था।

उधर, भाजपा के राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी ने सदन में कहा कि वे राजस्थान के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान को लेकर उनका पहला मुद्दा लाल डायरी और दूसरा मुद्दा वहां हो रही बलात्कार की वारदाते हैं।

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सदन में मणिपुर हिंसा पर तुरंत चर्चा कराई जानी चाहिए। मणिपुर में लगातार कई दिनों से हिंसा हो रही है और मणिपुर जल रहा है। इसके बाद नेता सदन पियूष गोयल बोलने के लिए खड़े हुए और उन्होंने घनश्याम तिवारी की मांग का समर्थन किया। पीयूष गोयल ने कहा कि राजस्थान की स्थिति पर राज्यसभा में चर्चा कराए जाने की मांग का वह समर्थन करते हैं।

राज्यसभा में सोमवार को ही दिल्ली संशोधन विधेयक भी पेश किया जाना है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इंडिया गठजोड़ इस दिल्ली सेवा बिल को हराने के सिलसिले में अपना विरोध दर्ज कराने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का कहना है कि हम लेजिसलेटिव प्रोसेस से भी दिल्ली के बिल को रोकेंगे और ज्यूडिशल प्रोसेस सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से भी इस बिल को रोकने का प्रयास करेंगे।

उन्होंने कहा कि यह बिल बेसिकली दिल्ली के दो करोड़ लोगों को गुलाम बनाने का बिल है। यह दिल दिल्ली के दो करोड़ लोगों के वोट के अधिकार को जीरो कर देता है क्योंकि जो सरकार को वोट डालकर काम करने के लिए चुनते हैं उसके पास कोई शक्ति नहीं है और सारी शक्तियां उपराज्यपाल को सौंप दी जाती हैं।

राघव का कहना है कि अगर दिल्ली में किसी के घर पर बिजली या पानी नहीं आ रहा, किसी के बच्चे का स्कूल में दाखिला नहीं हो रहा, अस्पताल में इलाज नहीं हो रहा, क्या वह शख्स उपराज्यपाल के घर जाएगा या अपने विधायक, मुख्यमंत्री के पास जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह बिल पार्लियामेंट्री सिस्टम ऑफ डेमोक्रेसी को रिजर्व करने का कार्य करता है।


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