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किसानों के भारत बंद में विपक्ष की राजनीति बेअसर

नए कृषि कानून के विरोध में कुछ किसान संगठनो के भारत बंद उत्तर प्रदेश में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ सका

किसानों के भारत बंद में विपक्ष की राजनीति बेअसर
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लखनऊ। नए कृषि कानून के विरोध में कुछ किसान संगठनो के भारत बंद उत्तर प्रदेश में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ सका। दिल्ली सीमा से सटे नोएडा और गाजियाबाद में किसानो ने सड़क जाम कर प्रदर्शन किया वहीं अन्य इलाकों में किसानो के समर्थन में सड़कों पर उतरे समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ट्रेन रोकने और दुकाने बंद कराने की कोशिश की लेकिन पुलिस की सख्ती के चलते बंद को प्रभावी बनाने की विपक्ष की कवायद परवान नहीं चढ़ सकी।

मेरठ,शामली,सहारनपुर,कानपुर और लखनऊ समेत राज्य के अधिसंख्य क्षेत्रों में किसानो से ज्यादा सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता बंद को सफल बनाने को आतुर दिखे हालांकि प्रशासन ने विपक्ष के अधिकतर बड़े नेताओं को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जिससे आम कार्यकर्ता और छुटभैये नेताओं की सुरक्षा बलों के आगे नहीं चल सकी और सड़कों पर आम दिनो की तरह लोगों का आवागमन जारी रहा।

प्रयागराज में सपा कार्यकर्ताओं ने कुछ समय तक ट्रेन रोक कर विरोध का इजहार किया वहीं लखनऊ में सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर खदेड़ दिया। लखनऊ मे सपा मुख्यालय और पूर्व मुख्यमंत्री का आवास पुलिस के कड़े पहरे में रहा वहीं कांग्रेस के प्रदेश दफ्तर के बाहर भी सुरक्षा बल के जवान गतिविधियों पर बारीक नजर बनाये रखे।

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भारत बंद को राजनीति से प्रेरित करार देते हुये कहा कि अन्नदाता विपक्ष के बहकावे में नहीं आया और रही सही कसर व्यापारी और आम जनता ने निकाल दी जिससे विपक्ष को भोलेभाले किसानो के कंधे पर बंदूक रख कर राजनीति करने का मौका हाथ नहीं लग सका। प्रदेश में कहीं पर भी किसान प्रदर्शन करते नहीं दिखे। विपक्ष शुरू से ही कृषि कानून को लेकर किसानों के बीच में भ्रम फैला रहा है।

वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कल की किसान यात्रा और आज के किसानों के भारत बंद में सक्रिय भागीदारी और सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पार्टी की किसान यात्राएं जारी रहेगी। अपने साधनों से पैदल, मोटर साइकिल या साइकिल से कार्यकर्ता जिलों में किसान यात्रा निकालेंगे।

श्री यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है। समाजवादी सरकार में कुल बजट का 75 प्रतिशत किसान और गांव की प्रगति के लिए था। किसानों के लाभ की कई योजनाएं शुरू की गई थी। भाजपा ने किसानों के फायदे की सभी योजनाएं बंद कर दी हैं।

राज्य के ग्रामीण इलाकों में किसान खेतीबाड़ी में मशगूल नजर आये वहीं ज्यादातर शहरो में दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठनों को बंद कराते एक भी किसान नहीं दिखा । विपक्षी दल के नेता खासकर समाजवादी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और लोगों से दुकान और अपने प्रतिष्ठान बंद करने की अपील की लेकिन उनकी बात व्यापारियों ने नहीं सुनी ।

राज्य के पौराणिक और ऐतिहासिक चित्रकूट में बंद बेअसर था । सभी दुकान और प्रतिष्ठान रोज की तरह खुले रहे । जिले के बड़े किसान रघुवर दयाल ने कहा कि बंद एक राजनैतिक पैंतरेबाजी है ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के हक में फैसला लिया है । वो किसानों के हितों की अनदेखी कर ही नहीं सकते । विपक्ष आज जिस बिल को वापस करने की मांग कर रहा है उसे ही लागू करने के लिये 2008 में प्रदर्शन किया था । विपक्ष को आज बिल में खोट दिखाई दे रही है।

समाजवादी पार्टी के प्रभाव वाले इटावा में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता दुकानों को बंद कराने मोटरसायकिल से निकले । बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को देख लोगों ने दुकानें बंद भी कर दीं लेकिन उनके जाते ही दुकानें फिर से खुल गईं ।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली में बंद का आंशिक असर था । छिटपुट दुकानें बंद दिखाई दी ।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुबह पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से बात कर सख्त हिदायत दी थी कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के साथ नरमी से पेश आया जाय लेकिन कानून हाथ में लेने वालों के साथ सख्ती से पेश आया जाये ।

हमीरपुर जिले में आज भारत बंद का असर नही रहा। ज्यादातर व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रहे। सुबह से बाजार गुलजार हो गया, वहीं हाइवे में भारी वाहन दौड़ते रहे। रोडवेज की बसें भी हर रूट पर चलीं। सार्वजनिक स्थानों और सब्जी मंडी में भी चहलपहल रही। भारत बंद का शामली जिले में आंशिक असर दिखाई दिया। कुछ लोगों ने प्रदर्शन कर रास्ता अवरुद्ध करने का प्रयास किया, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। किसान स्वयं बुग्गियों में गन्ना लादकर उसे मिलों तक ले जाते हुए दिखाई दिये। कुछ क्षेत्रो में भीम पार्टी, समाजवादी पार्टी, लोकदल, भाकियू व अन्य किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए गुरूद्वारा फाटक के पास व अजंता चौंक पर रास्ता जाम करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुंच कर रास्ता जाम करने का प्रयास कर रहे लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

कानपुर में किसान आंदोलन के समर्थन में विपक्षी दलों द्वारा भारत बंद का दांव उनके लिए ही उल्टा पड़ गया।
कानपुर वासी भारत बंदी के पक्ष में नहीं बल्कि देश हित में उठाए जा रहे किसान बिल के साथ खड़े दिखे और बाजार खुले रहे। इस दौरान जिला व पुलिस प्रशासन की तैयारियों का असर भी शहर की चौक चौराहों, थोक बाजार, सड़कों पर दिखने को मिला। बंदी के समर्थन में प्रदर्शन करने वालों सपाई व कांग्रेसियों को घरों में नजरबंद कर निगरानी व कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने की कार्रवाई से बंदी कानपुर मंडल में बेअसर पड़ गई।

पौराणिक एवं ऐतिहासिक तीर्थ स्थल चित्रकूट में भारत बंद का कोई भी असर दिखाई नहीं पड़ा। चित्रकूट की लगभग सभी दुकानें सब्जी मंडी गल्ला व्यापार पहले की तरह कार्य करते नजर आए। वरिष्ठ किसान रघुवर दयाल ने कहा “ यह सब राजनीतिक दांवपेच है । हमें पता है कि मोदी के राज में किसानों और गरीबों के लिए कोई गलत निर्णय किसी भी कीमत पर नहीं लिया जा सकता ।”

वाराणसी में ‘भारत बंद’ का यहां मिलाजुला असर रहा। किसानों एवं विपक्ष दलों ने जगह-जगह धरना एवं प्रदर्शन कर अपना रोष प्रकट किया। आंदोलन के समर्थन में सड़कों पर उतरे प्रमुख विपक्षी दलों के करीब एक सौ नेताओं, कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों को कचहरी, मैदागिन समेत विभिन्न स्थानों से पुलिस ने हिरासत में लिया तथा बाद रिहा कर दिया। सपा के वरिष्ठ नेता एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल एवं दर्जा प्राप्त मंत्री मनोज राय धूपचंडी समेत अनेक नेताओं को उनके घरों पर ही नजरबंद कर दिया गया था। अन्य सपा कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया तथा मुख्य द्वार का गेट बंद करने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस एवं प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की नोंक-झोंक हुई। वामपंथी नेता हीरा लाल यादव के नेतृत्व में रैली निकाली गई।

फर्रूखाबाद जिले के बाजार खुले रहे लेकिन भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) के कार्यकर्ताओं ने पुलिस घेराबंदी के बीच नेकपुर पुल के ऊपर और नीचे धरना प्रदर्शन करते हुये अपनी मांगों का एक ज्ञापन प्रधानमंत्री को संबोधित उपजिलाधिकारी को सौंपा। भाकियू (टिकैत गुट) के मण्डल अध्यक्ष प्रभाकांत मिश्रा के नेतृत्व में फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र के इटावा-बरेली हाईवे नेकपुर पुल के ऊपर तथा नीचे रेललाइन की पटरियों पर पुलिस की कड़ी नाकेबंदी के बीच यूनियन के कार्यकर्ताओं ने सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान यूनियन के आन्दोलन को समर्थन देने पहुॅचे भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष आशुतोष कठेरिया और उनके साथियों को पुलिस की धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा। वहीं पुलिस ने सपा नेताओं को रास्ते में ही रोककर नजरबन्द रखा।

ललितपुर में भारत बंद पूरी तरह असफल रहा,लेकिन राजनैतिक दलों ने किसानों के पक्ष में आकर हंगामा काटते हुए धरना प्रदर्शन कर जाम लगाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें हिरासत में ले लिया गया। पुलिस लाइन व अन्यत्र जगहों पर क़ैद रखा गया। विभिन्न किसान दलों ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन के अधिकारियों को सौंपा। राजमार्ग 44 पर किसान राजनेतिक दलों के साथ जाम लगा रहे है तो भारी तादाद में पुलिस बल ने मौके पर पहुँचकर जब जाम खुलबाने का प्रयास किया तो भीड़ बेकाबू हो गई।

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