केजरीवाल की ‘धरना राजनीति’ पर अलग-थलग पड़े विपक्षी दल
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को लामबंद करने में जुटी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के राजनिवास में धरना देने के मुद्दे पर बंटे नजर आ रहे हैं

नयी दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को लामबंद करने में जुटी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के राजनिवास में धरना देने के मुद्दे पर बंटे नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस ने जहां ‘धरना राजनीति’ के लिए आम आदमी पार्टी(आप) और केजरीवाल की आलोचना की है वहीं कुछ विपक्षी दलों के नेता खुलकर दिल्ली के मुख्यमंत्री के समर्थन में आ गये हैं। कांग्रेस ने केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि वह धरने पर बैठकर अपनी विफलताओं को छिपाना चाहते हैं जबकि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी , तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया एन चंद्रबाबू नायडू और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने मोदी सरकार के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री की लड़ाई में उनको समर्थन देने की बात की है।
बनर्जी, नायडू , कुमारस्वामी और केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने शनिवार रात केजरीवाल के निवास पर जाकर उनके धरने को समर्थन का एलान किया। इन चारों नेताओं ने पहले केजीवाल से धरना स्थल पर ही मिलने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गयी। बनर्जी ने इससे पहले कहा था कि केजरीवाल को उचित सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने मोदी सरकार से अनुरोध किया है कि इस मुद्दे का जल्द समाधान किया जाना चाहिए जिससे लोगों को परेशानी न हो।
नायडू ने भी दिल्ली सरकार को अपने समर्थन की घोषणा करते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार का राजनीतिक फायदे के लिए राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग करना संविधान के अनुरूप नहीं है। येचुरी ने भी कहा है कि भाजपा सरकार दिल्ली सरकार के काम में बाधा डालने के लिए उप राज्यपाल का इस्तेमाल कर रही है। यह तुरंत रुकना चाहिए।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने केजरीवाल पर मुख्यमंत्री के पद की गरिमा गिराने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री का उप राज्यपाल के कार्यालय में धरने पर बैठना असाधारण है। यह मुख्यमंत्री के पद की गरिमा कम करना है।
तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी दीक्षित ने इस गतिरोध के लिए केजरीवाल को दोषी ठहराते हुए कहा कि उनके पहले कार्यकाल के दौरान केन्द्र में भाजपा की सरकार थी इसके बावजूद उन्होंने दिल्ली में बिजली के निजीकरण और सार्वजनिक परिवहन में डीजल के बजाय सीएनजी के इस्तेमाल का काम किया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश है और यदि केजरीवाल यह समझते हैं कि उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जितने अधिकार मिलने चाहिए तो वह भ्रमित श्रीमती दीक्षित ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए कभी उप राज्यपाल के साथ टकराव मोल नहीं लिया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल काम नहीं करना चाहते और इसके लिए बार- बार पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को आगे ले आते हैं।
केजरीवाल के धरने पर कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों की अलग-अलग राय से विपक्षी एकता में स्पष्ट दरार दिखाई दे रही है। श्री केजरीवाल और आप यह दावा कर रहे हैं कि केन्द्र के साथ लड़ाई में समूचा विपक्ष उनके साथ एकजुट है।


