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राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन के लिए विपक्षी सांसदों ने लोक सभा में 98 और राज्य सभा में दिए 80 प्रस्ताव

संसद के दोनों सदनों -लोक सभा और राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर 2 फरवरी से लगातार चर्चा चल रही है

राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन के लिए विपक्षी सांसदों ने लोक सभा में 98 और राज्य सभा में दिए 80 प्रस्ताव
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नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों -लोक सभा और राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर 2 फरवरी से लगातार चर्चा चल रही है। सत्ता पक्ष के सांसद जहां सरकार की उपलब्धियों को सामने रखते हुए धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं वहीं विपक्षी सांसद पेगासस , बेरोजगारी, सीमा पर राष्ट्रीय सुरक्षा को उत्पन्न खतरे, किसानों की हालत और अर्थव्यवस्था की स्थिति जैसे मुद्दों के जरिए सरकार को घेरने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। सरकार को घेरने की इन्ही कोशिशों के तहत विरोधी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर दोनों सदनों में संशोधन प्रस्ताव पेश किए हैं।

लोक सभा में सांसदों की तरफ से संशोधन के लिए 232 नोटिस दिए गए थे, जिसमें से 98 संशोधन प्रस्ताव को सदन में पेश किया गया है। ये संशोधन प्रस्ताव विभिन्न मुद्दों पर 13 सांसदों की तरफ से पेश किया गया है।

राज्य सभा में विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के 14 सांसदों की तरफ से संशोधन के लिए 99 नोटिस दिए गए थे। इनमें से 11 विपक्षी सांसदों की तरफ से राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन के लिए 80 नोटिस पेश किए गए हैं।

सूत्रों के मुताबिक, राज्य सभा सचिवालय द्वारा विरोधी दलों के सांसदों ( कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल और सीपीएम के इलामारन करीम) द्वारा पेगासस जासूसी मामले में दिए गए संशोधन नोटिस को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया है कि मामला अदालत में चल रहा है। बताया जा रहा है कि संशोधन प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए जाने के विरोध में सीपीएम सांसद इलामारन करीम ने राज्य सभा सभापति वेंकैया नायडू को पत्र भी लिखा है। इस मुद्दे को लेकर सोमवार को उच्च सदन में विरोधी दल हंगामा भी कर सकते हैं।

हालांकि आईएएनएस को मिली जानकारी के अनुसार , लोक सभा सचिवालय द्वारा पेगासस मामले से जुड़े कई संशोधन प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया गया है। लेकिन सदन के पटल पर जब यह संशोधन प्रस्ताव आएगा तो निश्चित तौर पर भाजपा सांसद मामला अदालत के विचाराधीन होने की बात कहते हुए इसका विरोध करेंगे।

आपको बता दें कि, संसद के बजट सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था और संसदीय परंपरा के अनुसार दोनों सदनों को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को अलग-अलग पारित करना पड़ता है।


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