कांग्रेस और शिअद सहित विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा : रविशंकर
नए कृषि संबंधी कानूनों पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है

पटना। नए कृषि संबंधी कानूनों पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर नए कृषि संबंधी कानूनों पर देश के किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर उन्होंने विपक्ष के साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) पर भी निशाना साधा। प्रसाद ने कहा, "कांग्रेस ने 2005 में कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) प्रणाली को समाप्त करने की घोषणा की थी और तब हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसे 2007 में अपने राज्य में लागू किया था। यहां तक कि राहुल गांधी ने 2013 में सार्वजनिक रूप से इसे पूरे देश में समाप्त करने की घोषणा की थी।"
उन्होंने कहा, "हमने 2020 में वही कानून लागू किया है, जिसका वे अब विरोध कर रहे हैं। यह समझना बेहद मुश्किल है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल कानूनों का विरोध क्यों कर रहे हैं।"
उन्होंने शिरोमणि अकाली दल पर पंजाब में 'समान राजनीति करने' का भी आरोप लगाया। प्रसाद ने कहा, "कांग्रेस के साथ उनकी अपनी राजनीति है। वे भी किसानों को गुमराह कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "किसान सड़कों पर हैं और राजग सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि किसान प्रभावित नहीं होंगे। बिचौलिए और इंस्पेक्टर राज खत्म हो जाएगा।"
प्रसाद ने कहा, "वास्तव में नए कानून उनके लिए फायदेमंद हैं। वे अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर देश में कहीं भी अपनी फसल बेच सकेंगे। इससे पहले किसानों को अपनी उपज अपने जिलों में बाजार समितियों को बेचनी पड़ती थी।"
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, "यही कारण है कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग सरकार ने 2006 में एपीएमसी को समाप्त कर दिया था।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारें कंपनियों को दंडित करने की हकदार होंगी, यदि वे एमएसपी से नीचे कृषि उपज को जबरन खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि कंपनियां फसल बर्बाद होने की स्थिति में किसानों को जमीन बेचने के लिए मजबूर नहीं कर पाएंगी।
उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से 23 फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है।


