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दुर्भावनापूर्ण आरोप, गलत सूचना अभियान के जरिए सेना को बदनाम कर रहा विपक्ष : भाजपा

भाजपा ने भारतीय सेना को 'बदनाम' करने के लिए दुर्भावनापूर्ण आरोपों और गलत सूचना अभियानों के लिए विपक्षी दलों को दोषी ठहराया है

दुर्भावनापूर्ण आरोप, गलत सूचना अभियान के जरिए सेना को बदनाम कर रहा विपक्ष : भाजपा
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नई दिल्ली। भाजपा ने भारतीय सेना को 'बदनाम' करने के लिए दुर्भावनापूर्ण आरोपों और गलत सूचना अभियानों के लिए विपक्षी दलों को दोषी ठहराया है। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया था कि 'अग्निवीर' भर्ती प्रक्रिया वही है, जो आजादी से पहले थी। विपक्ष पर निशाना साधते हुए भाजपा ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ भी नहीं बदला है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि विपक्षी दल दुर्भावनापूर्ण आरोपों और गलत सूचना अभियान के जरिए भारतीय सेना को बदनाम कर रहे हैं। जावड़ेकर ने कहा, "रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया है कि 'अग्निवीर' भर्ती प्रक्रिया वही है, जो आजादी से पहले थी। विपक्षी दल दुर्भावनापूर्ण आरोपों और गलत सूचना अभियानों के माध्यम से भारतीय सेना को बदनाम कर रहे हैं। उनकी दिवालिया (समाप्त हो चुकी) राजनीति एक बार फिर उजागर हो गई है।"

नई 'अग्निपथ' योजना के माध्यम से सेना में शामिल होने के इच्छुक उम्मीदवारों से जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह प्रथा आजादी से पहले से अस्तित्व में है और पंजीकरण मानदंड में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

इससे पहले दिन में आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि केंद्र सरकार अग्निपथ योजना के लिए पंजीकरण के लिए जाति और धार्मिक प्रमाण पत्र मांग रही है।

सिंह के सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा के लोकसभा सदस्य मनोज तिवारी ने पूछा, "मोदी के लिए इतनी नफरत है कि ये विरोधी झूठी खबरें ट्वीट करके देश को गुमराह कर रहे हैं। जो 1949 से है उसे लिख रहे हैं कि 'भारत के इतिहास में पहली बार?' तो इस झूठ पर माफी कब मांग रहे हो संजय सिंह?"

आप नेता के ट्वीट का हवाला देते हुए भाजपा में सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी अमित मालवीय ने कहा, "सेना ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में स्पष्ट किया है कि वह जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती है। हालांकि इसने प्रशासनिक सुविधा और परिचालन आवश्यकताओं के लिए एक क्षेत्र से आने वाले लोगों के एक रेजिमेंट में समूहन (लोगों का समूह) को उचित ठहराया।"

हर चीज के लिए पीएम मोदी को दोष देने पर मालवीय ने आगे कहा, "सेना की रेजीमेंट प्रणाली अंग्रेजों के जमाने से ही अस्तित्व में है। स्वतंत्रता के बाद, इसे 1949 में एक विशेष सेना आदेश के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था। मोदी सरकार ने कुछ नहीं बदला है।"


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