बैंक खातों के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
विपक्ष ने स्टेट बैंक द्वारा बचत खाता की ब्याज दरों को घटाने, खाते पर न्यूनतम राशि की अनिवार्यता और एटीएम एवं डिजीटल बैंकिंग पर प्रत्येक ट्रांसेक्शन पर शुल्क लगाने के लिये सरकार को आज आड़े हाथो लिया
नयी दिल्ली। विपक्ष ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा बचत खाता की ब्याज दरों को घटाने, खाते पर न्यूनतम राशि की अनिवार्यता और एटीएम एवं डिजीटल बैंकिंग पर प्रत्येक ट्रांसेक्शन पर शुल्क लगाने के लिये सरकार को आज आड़े हाथों लिया और कहा कि उसने गरीबों का पैसा हथिया लिया और अब उन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से उपयोग भी नहीं करने दे रही है।
पांच अनुषंगी बैंकों के स्टेट बैंक में विलय संबंधी स्टेट बैंक (निरसन एवं संशोधन) विधेयक 2017 पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल के सदस्यों ने सरकार पर तीखे प्रहार किये।
चर्चा आरंभ करते हुए कांग्रेस के एस. पी. मुदाहनुमेगौड़ा ने कहा कि उनकी पार्टी विलय का विरोध नहीं करती है लेकिन सोचा जाना चाहिये कि विलय के बाद स्टेट बैंक की गैरनिष्पादित परिसंपत्तियां 1.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गयीं हैं जिसके लिये बड़े ग्राहक जिम्मेदार हैं ना कि गरीब। लेकिन बैंक ने इस समस्या से निपटने के लिये ऐसे निर्णय लिये हैं जो गरीबों के विरोधी हैं।
मुदाहनुमेगौड़ा ने कहा कि बचत खाते में न्यूनतम राशि की अनिवार्यता से 31 करोड़ खाताधारक प्रभावित हुए हैं। न्यूनतम राशि नहीं होने पर दंड का प्रावधान रखा गया है। खाते से पैसा निकालने पर शुल्क लगाना और इंटरनेट बैंकिंग के ट्रांसेक्शन आदि पर शुल्क लगाने के निर्णय गरीब विरोधी हैं। बैंक आम आदमी के लिये हैं और उन्हीं पर इतने कठोर नियम लागू करना ठीक नहीं है।
उन्होंने किसानों की समस्याओं का उल्लेख किया और कहा कि किसानों की आत्महत्या बढ़ रही है। उन्होंने बैंकों के विलय के बारे में कहा कि अनुषंगी बैंकों से क्षेत्रीय आबादी का भावनात्मक लगाव था और उनकी ग्रामीण शाखायें अधिक थीं लेकिन विलय के बाद लोगों को भारतीय स्टेट बैंक से अपनत्व की भावना नहीं मिल रही है।


