कोर्ट के आदेशों का विरोध खतरनाक प्रवृत्ति : हाईकोर्ट
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने न्यायालय के आदेश के खिलाफ किये जा रहे विरोध प्रदर्शनों को गलत और खतरनाक प्रवृत्ति मानते हुए इसपर गंभीर रूख अख्तियार किया है

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने न्यायालय के आदेश के खिलाफ किये जा रहे विरोध प्रदर्शनों को गलत और खतरनाक प्रवृत्ति मानते हुए इसपर गंभीर रूख अख्तियार किया है।
न्यायालय ने कहा कि इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही न्यायालय ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि न्यायालयों के आदेश के खिलाफ आगे से विरोध प्रदर्शन, धरना तथा जुलूस न निकालें जायें।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायामूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने रामनगर में कार्बेट पार्क में वन्य जीवों और उसके आसपास वन विभाग तथा राजस्व विभाग की जमीन पर हुए अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद ये आदेश जारी किये हैं। खंडपीठ ने निजी होटलों और रिसाॅर्टों द्वारा सरकारी भूमि पर किये गये अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रूख अख्तियार किया और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये थे।
न्यायालय ने कहा कि समाचार पत्रों में छपी खबरों के अनुसार न्यायालय की खबरों के खिलाफ लोगों द्वारा प्रदर्शन और जुलूस निकाला गया है। यह खतरनाक प्रवृत्ति है जिसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति को कोर्ट का सहारा लेने और अपनी बात रखने का अधिकार है।


