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झारखंड में हजारों एकड़ इलाके में नक्सलियों के संरक्षण में लहलहा रही अफीम की फसल

झारखंड में नक्सलियों के संरक्षण में नशे की फसल लहलहा रही है

झारखंड में हजारों एकड़ इलाके में नक्सलियों के संरक्षण में लहलहा रही अफीम की फसल
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रांची। झारखंड में नक्सलियों के संरक्षण में नशे की फसल लहलहा रही है। राज्य के एक दर्जन जिलों में हजारों एकड़ इलाके में अफीम की खेती हुई है। इस अवैध साम्राज्य के खिलाफ पुलिस और वन विभाग के अभियान से वे बौखलाहट में हैं। चतरा जिले में बुधवार को पुलिस टीम पर नक्सलियों के हमले के पीछे की वजह भी यही है।

पुलिस और वन विभाग की टीम वशिष्ठ नगर थाना क्षेत्र के गंभारतरी जंगल में अफीम की फसल नष्ट कर लौट रही थी, तभी नक्सलियों ने घात लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की। जब तक पुलिस जवाबी मोर्चा ले पाती, उनकी गोलियों से दो जवान शहीद हो गए, जबकि तीन गंभीर रूप से जख्मी हैं।

इसके पहले जनवरी महीने में हजारीबाग जिले के चौपारण थाना क्षेत्र के ग्राम ढोढ़ियां में वन विभाग की टीम करीब 100 एकड़ जमीन पर लगी अफीम की फसल नष्ट करने पहुंची थी, तो तस्करों ने उन पर हमला बोल दिया था। हमले में वन विभाग के छह कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने खूंटी और रांची के जंगलों-पहाड़ों का सैटेलाइट इमेज निकाला तो खुलासा हुआ कि जंगलों और पहाड़ों के बीच बड़े पैमाने अफीम की फसल लगाई गई है। इनमें से कई इलाके ऐसे हैं जहां तक पुलिस और वन विभाग की टीम के लिए पैदल पहुंचना भी आसान नहीं।

चतरा जिले की बात करें तो प्रतापपुर, कुंदा, लावालौंग, कान्हाचट्टी, सदर प्रखंड में करीब 200 से भी ज्यादा गांवों में इस साल रैयती और वन भूमि पर अफीम की खेती हुई है। सूचना है कि लावालौंग के चमरवार, ढुबा, सरोना नदी के किनारे, बनवार, जोरी थाना क्षेत्र के मनामातु कोल्हुआ, घटहारी, सजनी, सदर थाना क्षेत्र के कठोन, वाड़ी साइम, शेरपुर, जमुनियातरी, रोटिया, बेरियो, सेल, बेदाग और कुंदा प्रखंड के बेलगड़ा, चिलोई, चेलमा, ककनातु रेगनियातरी, कुलवार गांव में करीब एक हजार एकड़ जमीन पर नक्सलियों ने खेती करवाई है।

हजारीबाग जिले के चौपारण थाना क्षेत्र में दुरागढा, मोरनियां, सिकदा, करगा, अंजान, ढोढिया, पत्थलगड्डा, जमुनिया तरी, अहरी, भदेल, बिगहा, चमरगड्डा, बहेरवातरी, खैराटांड, मैसोखार, जागोडीह, करमा, असनाचुंआ आदि जंगल में बसे गांवों के बाहरी क्षेत्रों में भी अफीम की खेती की सूचना है। इसी तरह रांची, खूंटी, हजारीबाग, पलामू, सिमडेगा, गुमला, लातेहार और पश्चिमी सिंहभूम में भी अलग-अलग इलाकों में अफीम की खेती के लिए बीज से लेकर पूंजी तक नक्सली ही मुहैया कराते हैं।

पैसे के लालच और डर से गरीब किसान उनके झांसे में आकर इस धंधे से जुड़ जाते हैं। नशे की इस खेती को रोकना पुलिस के लिए भी चुनौती बन गया है। इस अवैध धंधे तक पहुंचना पुलिस के लिए आसान नहीं है। बीच-बीच में कई स्थानों पर अभियान चलाकर अफीम की खेती नष्ट भी की गई है। मसलन, खूंटी जिले में बीते साल 10 दिसंबर से पुलिस और सशस्त्र सीमा बल द्वारा चलाए जा रहे अभियान में अब तक 956 एकड़ भूमि पर लगी अफीम की फसल नष्ट की गई है।

एक अनुमान के मुताबिक इस साल झारखंड में करीब 10 हजार एकड़ जमीन से 3,000 क्विंटल अफीम निकाले जाने की तैयारी है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 500 करोड़ से भी ज्यादा होगी। नक्सलियों ने तैयार अफीम खपाने के लिए पंजाब, हरियाणा और यूपी के अफीम तस्करों के एक बड़े नेटवर्क के साथ साझेदारी कर रखी है।

झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह ने कुछ महीने पहले सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और वरीय पुलिस अफसरों के साथ बैठक में अफीम की खेती को नष्ट करने और इसे रोकने के लिए रोडमैप बनाकर अभियान चलाने का निर्देश दिया था, लेकिन हकीकत यह है कि नक्सलियों ने रांची से सटे इलाकों में भी अफीम की खेती करवा रखी है।


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