ट्रैफिक पार्क निर्माण की खुली पोल
सोमवार को प्राधिकरण अधिकारियों की बोलती उस समय बंद हो गई

नोएडा। सोमवार को प्राधिकरण अधिकारियों की बोलती उस समय बंद हो गई। जब प्रमुख सचिव परिवहन (परिवहन) अराधना शुक्ला ने सेक्टर-108 स्थित ट्रैफिक पार्क का जाएजा लिया। उन्होंने अधिकारियों से अभी तक पार्क के पूरा न होने का कारण पूछा। उसके बाद वहां लगाई जा रही निर्माण सामग्री की जांच की। निर्माण जांच के विषय में जानकारी पूछने पर प्राधिकरण अधिकारी कुछ नहीं बोल सके। मौके पर प्रमुख सचिव परिवहन ने निर्माण सामग्री की जांच की।
जिसमे भारी अनिमितता पाई गई। यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सेक्टर-108 में प्राधिकरण ट्रैफिक पार्क का निर्माण करा रहा है। इसका निर्माण अक्टूबर-2016 में पूरा होना था। जिसके बाद इसकी डेड लाइन जुलाई -2017 दी गई। बावजूद इसे आम जनता के लिए खोला नहीं जा सका। निर्माण कार्य में निरंतर देरी होने के चलते सोमवार को प्रमुख सचिव परिवहन (परिवहन) खुद ट्रैफिक पार्क का जाएजा लेने सेक्टर-108 पहुंच गई।
यहा उन्होंने पार्क के निर्माण की समीक्षा की। जिसके बाद निर्माण पूरा नहीं होने का कारण पूछा। वहीं, मौके पर निर्माण में प्रयुक्त किए जा रहे सामग्री की जांच की। उन्होंने पार्क में मौजूद अधिकारियों से पूछा कि निर्माण सामग्री की जांच कैसे होती है। इसके बाद उन्होंने खुद गिलास चम्मच मंगवाकर जांच की। जिसमें भारी अनिमितता पाई गई। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जाएगी। जाहिर है इसके बाद एक और घोटाला खुलने की पूरी आशंका है।
जमकर लगाई फटकार
ट्रैफिक पार्क में सचिव ने ठेकेदारों को तलब किया। जिसके बाद जमकर फटकार लगाई गई। यही नहीं प्रमुख सचिव परिवहन ने ट्रैफिक पार्क में बिजली व्यवस्था की जानकारी मांगी। पता चला कि यहा बिजली की सप्लाई तक नहीं है। इस पर उन्होंने संबंधित एपीई के साथ परियोजना अभियंता को भी फटकार लगाते हुए पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से करने की बात तक कहीं।
क्या है ट्रैफिक पार्क परियोजना
लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए प्राधिकरण सेक्टर-108 में ट्रैफिक पार्क का निर्माण कर रहा है। इसे आठ एकड़ में बनाया जा रहा है। इसके निर्माण में करीब 40 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे है। यहा हू-ब-हू ट्रैफिक सिग्नल , जिक -जेक रोड, डिवाइडर, स्पीड ब्रेकर के अलावा ट्रैफिक निमयों के बोर्ड भी लगाए जा रहे है। इसका निर्माण जुलाई-2017 में पूरा होना था। लेकिन आठ साल बाद इसका 75 प्रतिशत काम ही पूरा हो सका है।


