सिर्फ संन्नता से प्रसन्नता नहीं आएगी : नायडू
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि सिर्फ संपन्नता से प्रसन्नता नहीं आएगी। उन्होंने जनता और प्रकृति केंद्रित विकास पर जोर दिया

हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि सिर्फ संपन्नता से प्रसन्नता नहीं आएगी। उन्होंने जनता और प्रकृति केंद्रित विकास पर जोर दिया। वेंकैया नायडू ने कहा कि महज समृद्धि पर नहीं, बल्कि लोगों की कुशलता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया सिर्फ विकास को लेकर ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए भी भारत की ओर देख रहा है।
उपराष्ट्रपति यहां विकास संवाद को लेकर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। सम्मेलन का आयोजन इंग्लिश एंड फॉरेन लेंग्वेज यूनिवर्सिटी (ईएफएलयू), रिसर्च फॉर रीसर्जेस फाउंडेशन (आरएफआरएफ) व अन्य संगठनों द्वारा किया गया था।
उन्होंने कहा, "यह समय इस बात पर विचार करने का है कि मानवता के लिए विकास के असली मायने क्या है।"
नायडू ने कहा, "समृद्धि जरूरी है, लेकिन धन के अलावा कई चीजें हमारे जीवन में महत्व रखती हैं। पर्यावरण और शांति, दोनों बाहरी और भीतरी तत्व हैं और जीवन की गुणवत्ता के महत्वपूर्ण निर्धारक हैं।"
उनका मानना है कि साझा करने व परवाह करने, संवाद व समझ, समानुभूति व सहानुभूति की संस्कृति से एक नई दुनिया बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा, "संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण से उज्जवल भविष्य का मार्ग सुगम हो सकता है।"
उन्होंने कहा, "योग को धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह मस्तिष्क और शरीर के सामंजस्य का व्यायाम है। योग आपके शरीर के लिए है, न कि (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी के लिए। मोदी ने सिर्फ इसे प्रमोट किया है।"


