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ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, तीन गिरफतार

हरियाणा में सोनीपत के कुंडली में मुख्यमंत्री उड़नदस्ता की टीम ने मंगलवार को कुंडली पुलिस तथा एनआईसी विभाग के साथ अंसल सुशांत सिटी स्थित मॉल में छापा मारकर अवैध कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया

ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, तीन गिरफतार
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सोनीपत। हरियाणा में सोनीपत के कुंडली में मुख्यमंत्री उड़नदस्ता की टीम ने मंगलवार को कुंडली पुलिस तथा एनआईसी विभाग के साथ अंसल सुशांत सिटी स्थित मॉल में छापा मारकर अवैध कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया। पुलिस के मुताबिक इस कॉल सेंटर के जरिए अमेरिका में ऑनलाइन ठगी की जा रही थी।

मुख्यमंत्री उड़नदस्ता की टीम को सूचना मिली थी कि कुंडली क्षेत्र में अवैध कॉल सेंटर चलाया जा रहा है।इस जानकारी के आधार पर उप पुलिस अधीक्षक अजीत सिंह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री उड़नदस्ता की टीम ने कुंडली थाना प्रभारी रवि कुमार की टीम तथा एनआईसी विभाग की टीम को साथ लेकर मेगाबाइट्ज मॉल एवेन्यू ब्लाक के दूसरे तल पर मंगलवार तड़के साढ़े तीन बजे छापा मारा। टीम के एक सदस्य ने पहले पहुंचकर वीडियोग्राफी की और फिर पूरी टीम पहुंच गई। पुलिस ने मौके से तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों की पहचान पिपली खेड़ा निवासी इंद्रजीत मलिक उर्फ बबल, दिल्ली के जहांगीरपुरी निवासी अंशु तथा दिल्ली के प्रीतमपुरा निवासी चंद्रकांत पसारी के रूप में हुई। इनमें इंद्रजीत मलिक इनका टीम लीडर तथा कॉल सेंटर मालिक है। ये लोग रात को 11 बजे से तड़के चार बजे तक कॉल सेंटर चलाते थे। पुलिस ने कुंडली थाना प्रभारी रवि कुमार के बयान पर तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपियों ने बताया कि वे अमेरिका के लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे। पुलिस ने तीनों को अदालत में पेश कर दो दिन के रिमांड पर लिया है।

पुलिस को शुरुआती पूछताछ तें कॉल सेंटर संचालक इंद्रजीत मलिक ने बताया कि उनका ठगी का धंधा विदेश में है। वह गूगल पर व्हाइट व येलो पेज से यूएसए की बिजनेस लिस्टिंग से मोबाइल नंबर निकाल लेते थे। उसके बाद आई बीम साफ्टवेयर के माध्यम से उनको काल करते थे। उनको गुमराह करते थे कि उनके सिस्टम में वायरस आया हुआ है। इसके साथ ही ज्यादा विज्ञापन या पीओपी-अप आते हैं तो उनको कम करने का झांसा देते थे। वह लोगों के कंप्यूटर में वायरस भेजकर उनके सिस्टम को ब्लाक कर देते थे। वह लोगों को धोखे में लेकर ऐनी डेस्क या टीम वॉयवर साफ्टवेयर से उनके सिस्टम को हैक कर लेते थे। इसे ठीक करने की एवज में उनसे 100-200 डालर लिए जाते थे।


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