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इज़रायल-हमास युद्ध का एक साल

7 अक्टूबर, 2023 को ठीक एक साल पहले हमास ने इज़रायल पर और जवाब में इज़रायल ने फिलीस्तीन के गज़ा पर बमबारी कर उस युद्ध की शुरुआत की थी जो अब तक न केवल जारी है बल्कि और भयावह शक्ल ले चुका है

इज़रायल-हमास युद्ध का एक साल
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7 अक्टूबर, 2023 को ठीक एक साल पहले हमास ने इज़रायल पर और जवाब में इज़रायल ने फिलीस्तीन के गज़ा पर बमबारी कर उस युद्ध की शुरुआत की थी जो अब तक न केवल जारी है बल्कि और भयावह शक्ल ले चुका है। इज़रायली सेना द्वारा गज़ा के उन अस्पतालों को निशाना बनाया गया था जिनमें बच्चे आए तो थे इलाज कराने पर जान गंवा बैठे थे। उस आक्रमण को एक तरह से नरसंहार ही बतलाया गया था लेकिन उस वक्त भी पूरा पश्चिम जगत इज़रायल के साथ था। जो मुल्क फिलीस्तीन के साथ थे, उनकी आवाज़ इतनी कमजोर थी कि वह ताकतवार पश्चिमी देशों द्वारा दबा दी गयी थी।

एक ओर तो इज़रायल साल भर में उसके द्वारा मारे गये हमास के लड़ाकों की संख्या जारी कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर इस लड़ाई में फिलहाल ईरान का तथा कुछ अरसा पूर्व लेबनान का शामिल होना बतलाता है कि स्थिति एक तरह से बेहद विस्फोटक है। कई सामरिक विशेषज्ञ तो इसे तीसरे महायुद्ध की बाकायदा शुरुआत के रूप में ही देख रहे हैं। अरब-इज़रायल लड़ाई जिस मोड़ पर खड़ी है वहां विश्व बिरादरी द्वारा शांति प्रयासों के गम्भीर प्रयासों की ज़रूरत है, न कि इसे हथियार बेचने का अवसर समझने की।

बहरहाल, इज़रायल ने बताया है कि उसने इस एक साल के दौरान गज़ा में हमास के 17 हजार लड़ाकों को मार गिराया है। एक हजार को तो इज़रायल के भीतर ही मौत के घाट उतारा गया। आईडीएफ कही जाने वाली इज़रायली सेना ने गज़ा पट्टी, वेस्ट बैंक तथा लेबनान पर दागे गये रॉकेटों की संख्या भी सूचित की है। इज़रायली सेना का दावा है कि उसने गज़ा में 40300 ठिकानों पर हमले किये। 4700 बंकरों को उसके द्वारा नष्ट किया गया। हमास के 8 बटालियन कमांडरों को मौत के घाट उतारा गया। 165 कंपनी कमांडर या उसके समकक्ष मारे गये सो अलग। 800 से ज्यादा उन आतंकवादियों को मार गिराने का दावा आईडीएफ ने किया है जो ज्यादातर ईरान समर्थक संगठनों से सम्बद्ध थे। रिपोर्ट में इज़रायल के 728 सैनिकों के मारे जाने तथा 4576 सैनिकों के ज़ख्मी होने को स्वीकारा गया है।

इस युद्ध का विस्तार भी होता चला गया है। हमास के अलावा हिजबुल्लाह और हूती जैसे संगठन भी शामिल हो गये हैं। हिजबुल्लाह के खिलाफ चलाये गये अभियानों में इज़रायल ने लेबनान पर भी आक्रमण किये हैं। उसके अनुसार हिजबुल्लाह के लड़ाके ईरान में छिपे हुए हैं इसलिये उनके ठिकानों पर भी बमबारी की गयी है। विशेषकर उसके बेरूत स्थित खुफिया मुख्यालय पर हमले किये गये। दूसरी तरफ हिजबुल्लाह का भी दावा है कि उसने इज़रायल के हाइफ़ा शहर के दक्षिण में स्थित सैन्य ठिकाने पर बमबारी की जिसमें 10 इज़रायली मारे गये। लड़ाई के एक साल पूरा होने पर इज़रायल ने गज़ा पट्टी में विस्थापितों को आश्रय देने वाली एक मस्जिद तथा स्कूल पर हवाई हमला किया जिसमें 25 से ज्यादा लोग मारे गये हैं। इस दिन को किसी जश्न की तरह मनाने के अंदाज़ में इज़रायल द्वारा सैन्य प्रदर्शनी की गयी जिसमें वे हथियार, उपकरण, वाहन आदि प्रदर्शित किये गये जो लड़ाई में इस्तेमाल किये जा रहे हैं। इज़रायल ने साफ किया है कि उसने जवाबी कार्रवाइयों कर 41 हजार से ज्यादा लोगों को एक साल में मारा जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे।

उपरोक्त आंकड़े जारी करना तथा सैन्य प्रदर्शनी करने के अलावा इस मौके पर लोगों में जोश भरने के उद्देश्य से इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यनाहू ने हमास को पूरी तरह से खत्म करने की कसम तो खाई ही, यह साफ किया कि कोई उसका साथ दे या न दे- यह संकल्प उनका देश पूर्ण करेगा। इज़रायल ने पहले ही कह दिया था कि वह जल्दी ही ईरान पर भी बड़ा हमला करेगा। उल्लेखनीय है कि हाल ही में ईरान ने इज़रायल पर लगभग 200 मिसाइलें दागी थीं। इसका बदला लेने की बात नेत्यनाहू ने दोहराई। इस लड़ाई की पहली सालगिरह पर जिस तरह से नये आक्रमणों तथा बदला लेने की बातें हो रही हैं उससे साफ है कि इसका हल फिलहाल किसी के पास नहीं है। है भी तो उसकी मंशा किसी की नहीं है।

इस लड़ाई ने जहां पूरे गज़ा को मलबे में बदलकर रख दिया है, वहीं युद्ध का विस्तार पूरे मध्य पूर्व में होता भी दिख रहा है। इसके कारण वाणिज्यिक महत्व के लाल सागर और हिंद महासागर के समुद्री रास्ते भी खतरे से भर गये हैं। यह वो समुद्री मार्ग हैं जिनसे होकर कई महाद्वीपों का परस्पर कारोबार होता है। लाल सागर एवं अदन की खाड़ी में एक भारतीय व्यापारिक पोत पर हूती विद्रोहियों द्वारा गुजरात के पोरबंदर से 217 समुद्री मील की दूरी पर ड्रोन से हमला किया गया था। इसमें आग लग गई थी और इसे किसी तरह से भारतीय तट रक्षक बचाकर लाये थे। विश्व के कुल अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय का 10 फीसदी इसी मार्ग से होता है- खासकर कच्चे तेल की आपूर्ति।
इस युद्ध के एक साल होने पर इसे खत्म करने का संकल्प लेना होगा। अंतरराष्ट्रीय संगठनों को चाहिये कि सभी युद्धरत पक्षों को समझाइश देकर लड़ाई रुकवाए। हालांकि यह कठिन है, पर और कोई रास्ता नहीं है। स्थिति को विस्फोटक बनाने के बजाय शांति प्रयासों की आवश्यकता कहीं अधिक है।


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