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एक यूनिट ब्लड के लिए करनी पड़ती है घंटों मशक्कत

वर्षों के इंतजार और संघर्ष के बाद जिला चिकित्सालय में खुले ब्लड बैंक से ब्लड प्राप्त करना मरीज व परिजनों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है...

एक यूनिट ब्लड के लिए करनी पड़ती है घंटों मशक्कत
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जिला अस्पताल में मरीजों की परेशानी नहीं हो रही कम
जांजगीर। वर्षों के इंतजार और संघर्ष के बाद जिला चिकित्सालय में खुले ब्लड बैंक से ब्लड प्राप्त करना मरीज व परिजनों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। एक यूनिट ब्लड के लिये डोनर के इंतजाम से लेकर कागजी औपचारिकता के नाम पर मरीज के परिजनों को न जाने कितनी बार सीढ़ीयां चढ़नी-उतरनी पड़ती है। तब कही जाकर मरीज को ब्लड उपलब्ध हो पाता है।

जिला चिकित्सालय में एक चौथाई स्टाफ से किसी तरह संचालित ब्लड बैंक से भर्ती मरीजों को ब्लड लाने व ले पाने के लिए बनाई गई थी जटिल प्रक्रिया से मरीज के साथ-साथ परिजनों की हालत पतली हो जा रही है। आज सुबह खून के कमी से जूझ रही एक महिला अस्पताल मेें भर्ती कराई गई। जिसे 3 यूनिट ब्लड चढ़ाने की जरूरत डॉक्टरों ने बताया था। गंभीर रूप से खून की कमी से जूझ रही महिला के परिजनों को चार घंटों से अधिक मशक्कत के बाद 1 यूनिट रक्त उपलब्ध हो सका, जबकि परिजनों ने पहले से ही ब्लड डोनर का इंतजाम कर रखा था। जिससे ब्लड डोनेट कराने उपरांत मरीज को बैंक से ब्लड दिया जाना था, मगर पहले से ही नाम मात्र के स्टाफ के बीच कागजी औपचारिकता ऐसा उलझाकर रखा गया है कि परिजन नीचे से ऊपर सीढ़ीयां चढ़ते हलकान हो रहे है।

आज भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला,जहां परीक्षण शुल्क की रसीद लेने के अलावा चिकित्सक से प्रमाणित कराने के नाम पर चार घंटे तक मरीज के परिजन सीढ़ीयां चढ़ते-उतरते रहे है। इतना ही नहीं विशेषज्ञ डॉक्टर की अनुपस्थिति व इमरजेंसी ड्यूटी में उपस्थित डॉक्टर को लेकर परिजन परेशान रहे। अंतत: बात सिविल सर्जन तक पहुंची, जिनके हस्तक्षेप के बाद ब्लड उपलब्ध हो पाया। यह घटना एक जानकार परिजनों के साथ घटित हुई ऐसे में यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं, जब किसी गांव से कम पढ़े लिखे परिजन अपने मरीज को लेकर यहां पहुंचेंगे तो उनके साथ कितनी मुश्किलें आ सकती है।

पैथोलाजिस्ट के लिए पड़ता है भटकना
जिला चिकित्सालय में एक मात्र पदस्थ पैथोलाजी के डॉक्टर पीएस कुर्रे है, जिनके भरोसे ब्लड बैंक का संचालन हो रहा है। जब कभी डॉक्टर रात्रिकालीन ड्यूटी में चले जाते है, तो दूसरे दिन ब्लड के लिए परिजनों की मुश्किल कई गुनी बढ़ जाती है। खासकर क्रास मैच पेपर, रिक्विजिशन फार्म में हस्ताक्षर के लिए अन्य डॉक्टर बचने की कोशिश करते है। आज भी महिला मरीज के परिजनों को इससे गुजरना पड़ा।

अब तक नहीं मिला स्टाफ
जिला चिकित्सालय में ब्लड बैंक की स्थापना तो की गई, मगर इसके संचालन के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर व स्टाफ अब तक शासन द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। जिसके चलते जिला चिकित्सालय के पैथोलेब के स्टाफ किसी तरह संचालन कर रहे है। दोहरे काम के चलते जहां मरीजों को ब्लड लेने मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं अन्य पैथो परीक्षण जो कि नीचे के लैब में संचालित होता है, का काम भी प्रभावित हो रहा है। जानकारी की माने तो ब्लड बैंक में ही 6 टेक्नॉलाजिस्ट के अलावा स्टाफ नर्स, लेब अटेन्डेट व डॉक्टर की आवश्यकता है। जो कब तक मिल पायेगा कहा नहीं जा सकता।


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