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महिलाओं पर अपमानजनक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए', तमिलनाडु के मंत्री पोनमुडी के बयान पर भड़कीं कांग्रेस सांसद

तमिलनाडु सरकार में मंत्री के. पोनमुडी की महिलाओं और हिंदू तिलक पर अश्लील टिप्पणी को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है

महिलाओं पर अपमानजनक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, तमिलनाडु के मंत्री पोनमुडी के बयान पर भड़कीं कांग्रेस सांसद
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करूर (तमिलनाडु)। तमिलनाडु सरकार में मंत्री के. पोनमुडी की महिलाओं और हिंदू तिलक पर अश्लील टिप्पणी को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है। करूर सीट से कांग्रेस की लोकसभा सांसद एस. जोतिमणि ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि किसी भी शख्स को महिलाओं के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।

जोतिमणि ने शनिवार को कहा, "यह सिर्फ मंत्री के. पोनमुडी या किसी अन्य जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति की बात नहीं है। किसी भी पुरुष को, इस देश या दुनिया में कहीं भी, किसी महिला के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का हक नहीं है। ऐसी टिप्पणियां पूरी तरह निंदनीय हैं। मैं इस बात की सराहना करती हूं कि द्रमुक ने तेजी के साथ जवाब दिया। जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को महिलाओं या किसी सामाजिक मुद्दे पर बोलते समय बेहद सावधानी बरतनी चाहिए।"

उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु सरकार में मंत्री के. पोनमुडी के बयान को लेकर मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर पुलिस उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करेगी तो अदालत को स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करनी पड़ेगी।

इससे पहले, भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मंत्री के. पोनमुडी के बयान पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, "उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर अपमानजनक हमले के बाद अब द्रमुक मंत्री के. पोनमुडी ने हिंदू-विरोधी बयानबाजी को आगे बढ़ाया है। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पोनमुडी ने एक अश्लील कहानी सुनाई, जिसमें उन्होंने पवित्र हिंदू प्रतीकों का जिक्र किया। चाहे द्रमुक, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, या राजद हो, ‘इंडिया गठबंधन’ के सदस्य विचारधारा से नहीं, बल्कि हिंदू मान्यताओं का अपमान करने के लिए एकजुट दिखते हैं। उनकी राजनीति अपमान, उकसावे और बहुसंख्यक समुदाय के प्रति जानबूझकर अनादर पर फलती-फूलती है।"

कांग्रेस सांसद ने सुप्रीम कोर्ट पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की है, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बहुत निंदनीय है कि वह संवैधानिक पद पर बैठे हैं और इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना कर रहे हैं।"


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