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कोविड फ्रंटलाइन वर्कर्स कोर्सेस से एक लाख कोविड योद्धाओं को मिलेगा प्रशिक्षिण

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने इसी वर्ष जून में 'कस्टमाइज्ड क्रैश कोर्स प्रोग्राम फॉर कोविड फ्रंटलाइन वर्कर्स' लॉन्च किया है

कोविड फ्रंटलाइन वर्कर्स कोर्सेस से एक लाख कोविड योद्धाओं को मिलेगा प्रशिक्षिण
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नई दिल्ली। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने इसी वर्ष जून में 'कस्टमाइज्ड क्रैश कोर्स प्रोग्राम फॉर कोविड फ्रंटलाइन वर्कर्स' लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य छह स्वास्थ्य संबंधी नौकरी की भूमिकाओं के साथ-साथ लगभग एक लाख कोविड योद्धाओं को प्रशिक्षित करना है। इसका उद्देश्य देश भर में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के संचालन और परिवहन के लिए 2,800 ड्राइवर प्रशिक्षित करना भी है। कार्यक्रम का उद्देश्य कुशल स्वास्थ्य कर्मियों की मांग को पूरा करना, स्वास्थ्य पेशेवरों के बोझ को कम करना और देश में समय पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है।

यह जानकारी केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि अनुकूलित क्रैश कोर्स युवाओं को मुफ्त कौशल प्रशिक्षण, प्रमाणन और रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। इस कार्यक्रम के तहत, छह स्वास्थ्य देखभाल भूमिकाओं में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें बेसिक केयर सपोर्ट, होम केयर सपोर्ट, एडवांस्ड केयर सपोर्ट, सैंपल कलेक्शन सपोर्ट, इमरजेंसी केयर सपोर्ट और मेडिकल इक्विपमेंट सपोर्ट शामिल हैं। इस प्रशिक्षण की अवधि 144 घंटे से 312 घंटे तक है।

फ्रेश स्किलिंग के तहत, 21 दिनों का सिद्धांत-आधारित कक्षा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसके बाद स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों, नैदानिक सुविधाओं, नमूना संग्रह केंद्रों आदि जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं में लगभग 90 दिनों का ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

अपस्किलिंग के तहत, उपर्युक्त छह नौकरी भूमिकाओं पर एक ब्रिज कोर्स के रूप में प्रशिक्षण लगभग एक सप्ताह की अवधि का है।

एलएमओ के संचालन और परिवहन में ड्राइवरों के प्रशिक्षण की अवधि 217 घंटे या 27 दिनों की है। एलएमओ के परिवहन के दौरान 'रक्षात्मक ड्राइविंग' पर ध्यान देने के साथ-साथ खतरनाक रसायनों के साथ-साथ एलएमओ के परिवहन में एचएमवी लाइसेंस धारक ड्राइवरों का विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।

अनुकूलित क्रैश कोर्स कार्यक्रम में 276 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय है। मंत्रालय इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, नसिर्ंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर आदि के नेटवर्क को शामिल करने का प्रयास कर रहा है।


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