फर्जी संतों की सूची पर बवाल, साधुओं में सिर फुटव्वल की नौबत
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से फर्जी साधु-संतों की सूची जारी कर दिए जाने पर साधु समाज में खासा बवाल मच गया है

रतिभान त्रिपाठी
लखनऊ। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से फर्जी साधु-संतों की सूची जारी कर दिए जाने पर साधु समाज में खासा बवाल मच गया है। विवाद इतना कि सिर फुटव्वल की नौबत आ चुकी है। अखाड़ा परिषद के ही औचित्य और उसकी जमीनी स्वीकार्यता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इलाहाबाद में रहने वाले एक साधु आचार्य कुशमुनि,जो अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और वहां पर उनकी गतिविधियों को ठीक से जानते हैं, ने तगड़ा पलटवार किया है। कुशमुनि ने अखाड़ा परिषद से जुड़े साधु-संन्यासियों के निजी आचरण पर सवाल उठाते हुए यहां तक कह दिया है कि इनके ब्रह्मचर्य की भी जांच होनी चाहिए।
अपने को फर्जी संत करार दिए जाने पर आचार्य कुशमुनि इतने आक्रामक हो गए कि उन्होंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि पर गंभीर आरोप चस्पा किया।
अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता की हैसियत से जारी एक बयान में आचार्य कुशमुनि ने कहा, नरेंद्र गिरि तो पैसे लेकर महामंडलेश्वर बनाते हैं। पद बेचने का काम करते हैं। ये सभी पद बेचने वाले लोग हैं। ये धर्मविरोधी हैं। समाज को चाहिए कि अखाड़ा परिषद का विरोध करे। फालतू का पैसा खर्च होता है शाही स्नान में। जनता के लिए जनता के टैक्स से आता है वो पैसा।
कुशमुनि ने नरेंद्र गिरि को अखिलेश यादव का दलाल तक करार दिया। कहा, अब यही नरेंद्र गिरि भाजपा में घुसने की फिराक में हैं। अपने बयान में उन्होंने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि पर कई गंभीर और शर्मनाक आरोप लगाए हैं।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं विवाहित तो हूं और ऋषि परंपरा को आगे बढ़ा रहा हूं। लेकिन अखाड़े वाले क्या हैं, इस पर सैकड़ों सवाल हैं। अखाड़े का कोई भी महंत अगर अपने ब्रह्मचर्य का सर्टिफिकेट दे दे तो वह मान जाएंगे कि ये साधु-संन्यासी सही हैं। इन्हीं मंहतों द्वारा ही इस समय सबसे ज्यादा चरस, गांजा और भांग जैसे नशीले पदार्थों का सेवन किया जा रहा है। अखाड़े इस समय दुराचार और गंदे कामों के सबसे बड़े केंद्र बने हुए हैं। यह अखाड़ा परिषद भी ऐसा ही है।
आचार्य कुशमुनि का बयान जारी होते ही अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने भी पलटवार किया। कहा, कुशमुनि जो बोल रहे हैं, वह बौखलाहट में बोल रहे हैं। वह बार-बार अपना बयान बदल रहे क्योंकि जहां-जहां आश्रय चाहते हैं, वहां वहां से खारिज कर दिए जा रहे हैं। नरेंद्र गिरि ने कहा कि जिन-जिन लोगों को फर्जी घोषित किया गया है,वह सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने की वजह खुद की दुकान खोलकर बैठे हैं।
नरेंद्र गिरि ने कहा कि अखाड़ा परिषद संतों की संवैधानिक संस्था है। इस पर सवाल उठाने वालों को जब इस बात की ही जानकारी नहीं है, तो और फिर क्या कहा जा सकता है।
नरेंद्र गिरि से जब यह पूछा गया कि आप पर आरोप है कि आपने नोएडा के सचिन दत्ता से पैसे लेकर उन्हें महामंडलेश्वर बनाया था, तो गिरि ने कहा कि आरोप गलत है। जैसे ही पता चला कि वह सही साधु नहीं है, फौरन अपदस्थ कर दिया गया।
किन्नर अखाड़े के बाबत एक सवाल पर नरेंद्र गिरि ने कहा कि अखाड़े केवल 13 हैं। बाकी किसी अखाड़े का कोई औचित्य और अस्तित्व नहीं है।


