Top
Begin typing your search above and press return to search.

प्रयाग में गंगा किनारे नंगे पांव खिंचे आ रहे कांवडिये

उत्तर प्रदेश के प्रयाग में बड़ी संख्या में शिवभक्त सावन माह में देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक के लिए वाराणसी के काशी विश्वनाथ और देवधर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम के लिए बरबस नंगे पांव गंगा किनारे

प्रयाग में गंगा किनारे नंगे पांव खिंचे आ रहे कांवडिये
X

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयाग में बड़ी संख्या में शिवभक्त सावन माह में देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक के लिए वाराणसी के काशी विश्वनाथ और देवधर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम के लिए बरबस नंगे पांव गंगा किनारे खींचे चले आ रहे हैं।

कांधे पर कांवड, तन पर जोगिया वस्त्र, मन में आशुतोष और जुबान पर बोल बम के जयकारे के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज के दारागंज स्थित दशास्वमेघ घाट पर विहंगम नजारा देखने को मिल रहा है। श्रद्धालु स्नान करने के बाद कांवड के दोनो तरफ बंध लोटिया या प्लास्टिक के डिब्बे में गंगा जल लेकर पैदल वाराणसी के काशी विश्वनाथ और बाबा वैद्यनाथ धाम के वाहनों से निकल रहे हैं।

सावन का कल पहला सोमवार होने के कारण कांवडिये सुबह गंगा में स्नान कर रहे हैं। दशाश्वमेध घाट बोल बम के जयकारों से गूंज गया। श्रद्धालु अपने जत्थों के साथ पैदल ही सुबह जल लेकर वाराणसी के लिए निकल चुके हैं। कुछ

कांवडिये इलाहाबाद सिटी स्टेशन पर विभूति ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनमें से भी कुछ उसी ट्रेन से वैद्यनाथ धाम के लिए प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं।
इलाहाबाद सिटी स्टेशन पर ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे नैनी निवासी मनोज कुमार ने बताया कि उनके साथ बाबा वैद्यनाथ धाम जाने वाले 40 लोगों का समूह है। वह पिछले 25 साल से अनवरत वहां बाबा का जलााभिषेक करते हैं।
उन्होने बताया कि उन्हे इसकी प्रेरणा पडोसी दीपक सेठ से मिली। तब वह आठ साल के थे। उन्होंने पहली बार वाराणसी के बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। पांच साल तक लगातार सावन में कांवड लेजाकर बाबा का जलाभिषेक करते आ रहे हैं।

इसी तरत दीपक सेठ ने बताया कि पहले उनकी माली हालत कुछ ठीक नहीं थी। जब से बाबा के धाम जाने लगा उनकी माली हालत सुधरने लगी। मनोज ने भी अपने जीवन में बेहतरी और सुख-शांति के लिए अनवरत बाबा का जलाभिषेक किया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सावन में वह अपनी मित्र मंडली के साथ बाबा का जलाभिषेक करने वहां जाते हैं।
मनोज ने बताया सावन में भगवान शिव मुँह माँगा वरदान देते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस सावन माह में सीधे-सादे भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करके जो वरदान चाहें वह माँग लें। जगत मोहिनी माता पार्वती के साथ भूतभावन भगवान भोलेनाथ निर्विकार अपने हर्ष से भरे हृदय के साथ उन्मुक्त मन से अपने भक्तों को इस महीने सब कुछ दे देने के
लिए सदा तत्पर रहते हैं।

उन्होंने बताया कि भगवान शिव ही ऐसे देव हैं जो स्वयं तो वस्त्र हीन हैं, लेकिन सम्पूर्ण विश्व को अपनी भक्ति का आवरण प्रदान कर सारे दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से मुक्त कर देते हैं। स्वयं तो स्थायी निवास के अभाव में दर-दर भटकते रहते हैं। किन्तु अपने भक्तों को मुक्ति का वरदान प्रदान कर सदा के लिए भ्रम एवं माया से परिपूर्ण सदा कष्टकारी जगत प्रपंच से छुटकारा प्रदान करते हैं एवं पारब्रह्म परमेश्वर अपने रूप में विलीन एवं स्थिर कर देते हैं।
भोले की कृपा से आज उनके पास सब कुछ है। उन्होंने बताया कि उन्हे पता भी नहीं चला और धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो गयी। अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, ‘विश्वास बहुत बडी चीज है”। एक अटल विश्वास है जो मुझे उनके प्रति आकृष्ट किये हुए है। कई बार वह विषम परिस्थितयों से भी उबरे हैं।

मनोज के जत्थे के एक अन्य शिव भक्त दीपांकर (55) ने बताया कि स्वयं राख, भस्म एवं धूलधूसरित शरीर वाले भगवान शिव अपने प्यारे भक्तों को यश, कीर्ति, प्रतिष्ठा, सम्मान आदि का विविध लेप प्रदान कर उन्हें दिव्य
सुगन्ध फैलाने वाले बना देते हैं। भयंकर जहर की उग्र ज्वाला से संसार एवं जीव की रक्षा के लिए शंख में उस विष को रखकर पी जाने वाले भगवान साम्बसदाशिव नीलकण्ठ अपने भक्तों को भक्ति, संतोष, न्याय एवं सदाचार के

निर्मल अमर पेय पीने के लिए प्रदान करते हैं। त्रिपुरान्तकारी भगवान आशुतोष अपने भक्तों को निर्मल गुण, आध्यात्मिक चिन्तन, कलुषतारहित विचार, दूरदृष्टि, पूर्ण, अन्तिम एवं उचित निर्णय के रूप में सदा साथ रहने वाले
परिजन प्रदान करते हैं।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it