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मीना कुमारी के 85वें जन्मदिन पर  गूगल ने डूडल बनाकर दी श्रद्धांजलि

अपने दमदार और संजीदा अभिनय से सिने प्रेमियों के दिलों पर छा जाने वाली भारतीय सिनेमा की ‘ट्रेजडी क्वीन’ मीना कुमारी के 85वें जन्मदिन पर आज  गूगल ने शानदार डूडल के जरिये उन्हें अनोखी श्रद्धांजलि दी

मीना कुमारी के 85वें जन्मदिन पर  गूगल ने डूडल बनाकर दी श्रद्धांजलि
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नयी दिल्ली। अपने दमदार और संजीदा अभिनय से सिने प्रेमियों के दिलों पर छा जाने वाली भारतीय सिनेमा की ‘ट्रेजडी क्वीन’ मीना कुमारी के 85वें जन्मदिन पर आज गूगल ने शानदार डूडल के जरिये उन्हें अनोखी श्रद्धांजलि दी।

गूगल डूडल में भी मीना कुमारी अपने खूबसूरत चेहरे लेकिन चिर-परिचित उदास भाव-भंगिमा में नजर अा रही हैं। वह लाल साड़ी में हैं जिसका आंचल आसमान में टिमटिमाते सितारों के बीच लहरा रहा है।

तीन दशकों तक बॉलीवुड पर राज करने वाली मीना कुमारी का जन्म मुंबई में 1 अगस्त, 1932 को हुआ था। उनका असली नाम महजबीं बानो था। मीना के पिता अली बख्श पारसी रंगमंच के कलाकार थे और उनकी मां थियेटर कलाकार थीं। दो बेटियों के बाद पैदा हुई मीना कुमारी को उनके पिता पैदा होते ही अनाथालय छोड़ आये थे क्याेंकि वह अपनी तीसरी संतान के तौर पर बेटा चाहते थे लेकिन बाद में उनकी पत्नी के आंसुओं ने बच्ची को अनाथालय से घर लाने के लिये मजबूर कर दिया।

अपनी खूबसूरती ने सभी को अपना कायल बनाने वाली मीना कुमारी का बचपन बहुत ही तंगहाली में गुजरा था। उन्होंने जीवन में वास्तविक दर्द झेले थे इसलिए उनकी फिल्मों में कोई भी दुख का दृश्य उनके अभिनय से जीवंत हो उठता था। मीना कुमारी ने जिन फिल्मों में अभिनय किया, उनमें से ज्यादातर में उनका चरित्र दुखी महिला का होता था और उस चरित्र में वह अपने जीवंत अभिनय से जान फूंक देती थीं।

महजबीं पहली बार 1939 में फिल्म निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म 'लेदरफेस' में बेबी महजबीं के रूप में नजर आयीं। इसके लगभग सात वर्ष बाद 1946 में आयी फिल्म ‘बच्चों का खेल’ से उन्हें मीना कुमारी के नाम से जाना जाने लगा। वर्ष 1952 में मीना कुमारी को विजय भट्ट के निर्देशन में ही बैजू बावरा में काम करने का मौका मिला। फिल्म की

सफलता के बाद मीना कुमारी बतौर अभिनेत्री फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयीं।

मीना कुमारी ने वर्ष 1952 में फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही के साथ शादी कर ली लेकिन उन्हें कमाल की दूसरी पत्नी का दर्जा मिला। इसके बावजूद कमाल के साथ उन्होंने 10 साल बिताये लेकिन धीरे-धीरे उन दोनों ने बीच दूरियां बढ़ने लगीं और फिर 1964 में मीना कुमारी कमाल से अलग हो गईं।

वर्ष 1962 मीना कुमारी के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी आरती, मैं चुप रहूंगी और साहिब बीबी और गुलाम जैसी फिल्में प्रदर्शित हुईं। इसके साथ ही इन फिल्मों के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामित की गयी। यह फिल्म फेयर के इतिहास में पहला ऐसा मौका था जहां एक अभिनेत्री को फिल्म फेयर के तीन नॉमिनेशन मिले थे ।

इसके बाद उन्होंने परिणीता, फूल और पत्थर, दिल एक मंदिर, काजल और पाकीजा जैसी फिल्मों में यादगार अभिनय किया। पाकीजा के निर्माण में कमाल अमरोही को 14 वर्ष का समय लग गया और इस दौरान फिल्म की मुख्य अभिनेत्री मीना कुमारी का पत्नी के तौर पर उनसे अलगाव हो गया था लेकिन उन्हाेंने फिल्म की शूटिंग जारी रखी क्योंकि उनका मानना था कि पाकीजा जैसी फिल्मों में काम करने का मौका बार बार नहीं मिलता है। इन फिल्मों में अपने अभिनय के साथ उन्होंने दर्शकों के दिल में एक अलग जगह बनाई। उन्होंने करीब 33 साल के अपने कैरियर में 92 फिल्मों में अभिनय किया।

फिल्मों में उन्होंने काफी दौलत और शोहरत कमायी। अपनी खूबसूरती, अदाओं और बेहतरीन अभिनय से सभी को अपना दीवाना बना चुकीं मीना कुमारी की जिंदगी में दर्द आखिरी सांस तक रहा। वह जिंदगी भर अपने अकेलेपन से लड़ती रहीं।

मीना कुमारी ने 31 मार्च 1972 में मात्र 39 साल की उम्र दुनिया को अलविदा कह दिया।


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